देहरादून
100 साल पुराना बाजार होगा शिफ्ट।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जल्द ही जाम से आपको छुटकारा मिलने वाला है। बताया जा रहा है कि ट्रैफिक में लगभग 100 वर्षों से सबसे बड़ी बाधा बने आढ़त बाजार को रेलवे स्टेशन रोड से शिफ्ट करने की कवायद शुरू हो गई है। रिपोर्टस की माने तो जल्द ही नया आढ़त बाजार पटेलनगर में बसाया जाएगा। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर आढ़त बाजार के निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने एमडीडीए से कार्य शुरू होने से पूर्ण होने तक प्रत्येक स्तर पर कार्य पूर्ण होने की समयसारिणी की भी मांग की।
सड़क के इस चोक हिस्से को खोलने के लिए एक दशक से भी अधिक समय से कवायद चल रही है, मगर कोई भी योजना आज तक परवान नहीं चढ़ पाई। ऐसे में एक बार फिर एमडीडीए आढत बाजार शिफ्ट करने की बड़ी योजना पर काम कर रहा है। इस योजना को धरातल पर उतारे के लिए आढ़त बाजार को शिफ्ट करने के लिए व्यापारियों के साथ सकारात्मक चर्चा के बाद अब शासन स्तर पर सहमति के बाद प्रोजेक्ट पर आगे कार्य शुरू किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पटेलनगर में करीब 100 बीघा जमीन पर नया आढ़त बाजार बनाएगा। इस पर सभी आढ़तियों से बात कर सहमति ले ली गई है। अगर पूरा बाजार शिफ्ट करने के लिए करीब 200 दुकानों की जरूरत पड़ेगी। ये दुकानें 100 से 400 वर्गमीटर तक की होंगी। इनमें दुकानों के साथ गोदाम भी होंगे। वहीं, व्यापारियों ने मांग रखी है कि एमडीडीए आढ़त बाजार का नक्शा तैयार करे। इसके बाद सहमति के आधार पर दुकानों का आवंटन करा लिया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि क्षेत्र के विकास में सभी बुनियादी आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखा जाए। अग्निशमन आदि के लिए उचित स्थान निर्धारित किया जाए। चयनित भूमि का अधिक से अधिक एवं बेहतर तरीके से उपयोग किया जाए। कार्य की गुणवत्ता का पूरा ध्यान भी रखा जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि हितधारकों से परामर्श लेते हुए दुकानों का आवंटन पूर्व में ही कर लिया जाए, ताकि व्यापारी को पता हो कि उसे कौन सी दुकान आवंटित है। आवंटित दुकान का डिजाइन उसके कार्य के अनुरूप हो, इसके लिए उनसे सुझाव अवश्य लिए जाएं।
गौरतलब है कि सहारनपुर चौक से लेकर प्रिंस चौक तक सड़क के बेहद संकरा होने के कारण यहां गाड़ियों की रफ्तार थम जाती है। सड़क संकरी होने और सुबह शाम कमर्शियल वाहनों की लोडिंग-अनलोडिंग के कारण यहां जाम लगता है। एमडीडीए बीते एक दशक से इस बाजार की शिफ्टिंग के लिए प्रयासरत रहा है। इस बाजार की शिफ्टिंग का सबसे पहला प्रस्ताव तत्कालीन उपाध्यक्ष आर मीनाक्षी सुंदरम के समय आया। तब व्यापारियों के साथ कई दौर की वार्ता भी हुई, व्यापारी भी राजी हुए लेकिन बजट की कमी के चलते तब मामला लटक गया।