राष्ट्रीय
60वीं बार में बना ये युवा प्रशानिक अधिकारी।
राजस्थान की ये एक कहानी नहीं सच है राजस्थान के रमेश सिंह राजपुरोहित की सक्सेस स्टोरी उन युवाओं के लिए मिसाल है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में मिलने वाली असफलताओं से हार मान लेते हैं। मेहनत करना छोड़ देते हैं। लक्ष्य तक बदल लेते हैं। रमेश राजपुरोहित छह साल में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में 59 बार फेल हुए और फिर तहसीलदार बन गए।
आपको एक बात बता दें रमेश राजपुरोहित के मजबूत इरादों के सामने तो असफलताओं ने भी हार मान ली। 60वीं बार के प्रयास में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा 2018 में 197वीं रैंक पर पहली बार सफलता हाथ लगी। इनका चयन राजस्थान तहसीलदार सेवा (RTS) में हुआ।
रमेश राजपुरोहित मूलरूप से राजस्थान के बाड़मेर जिले की धनाऊ तहसील के गांव रबासर के रहने वाले हैं। वर्तमान में साल 2021 से बाड़मेर में तहसीलदार के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। इनके पिता हालसिंह राजपुरोहित राजकीय प्राथमिक स्कूल रबासर में शिक्षक व मां सुशीला देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं।
25 मई 1993 को जन्मे रमेश राजपुरोहित सबसे बडे हैं। दो छोटी बहन दिव्या व ममता कॉलेज की पढ़ाई कर रही हैं। एक भाई भीमसिंह राजपुरोहित व बहन गुड्डिया प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। रमेश राजपुरोहित की शादी मार्च 2023 में बीकानेर की विनीता राजपुरोहित से हुई, जो वर्तमान में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में असिस्टेंट पद पर सेवाएं दे रही हैं।
उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी हुई। फिर ये अपने गांव से करीब सौ किलोमीटर दूर बाड़मेर जिला मुख्यालय आ गए और यहां छात्रावास में रहकर निजी स्कूल बाल मंदिर व मयूर नोबल से दसवीं व बारहवीं की परीक्षाएं पास कीं। तकनीकी विश्वविद्यालय बीकानेर से साल 2015 में बीटेक (मैकेनिकल) किया।
उनकाकहना है साल 2016 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। शुरुआती डेढ़ साल में केंद्रीय सेवाओं में जाने का प्रयास किया। गेट, एसएसजी, रेलवे, सीजीएल और बैंकिंग सेक्टर के इतने सारे फॉर्म भर डाले कि औसतन हर सप्ताह ही कोई ना कोई एग्जाम देता। यूपीएससी की इंजीनियरिंग सेवा में भी दो बार भाग्य आजमाया। इसके बाद स्टेट लेवल की परीक्षाओं के खूब फॉर्म में भरे। केंद्र व स्टेट स्तर की कुल 60 प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लिया। 59 में फेल हुआ।