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भोजन माता शब्द का अपमान।

उत्तराखण्ड

भोजन माता शब्द का अपमान।

भोजनमाताओ ने एक सभा कर उप जिला अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया।
प्रदर्शन में भोजनमाता तुलसी नैनीताल ने कहा कि हम भोजनमाताएं पिछले 20-21 वर्षो से विद्यालयो में भोजन बनाने का कार्य कर रही है। जिसका हमे मात्र 3000 रुपए प्रति माह मानदेय मिलता है। जो इस समय सुरसा के मुंह के समान बढ़ती मंहगाई में ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रही है। हम में से कई भोजनमाताओं का पूरा परिवार इसी में गुजारा करने को मजबूर है। विद्यालयों में हमसे भोजन बनाने, बच्चो को भोजन वितरण करने, किचन की सफाई करने के अलावा चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी, माली, सफाई कर्मचारी, का कार्य भी करवाया जा रहा है। जिसका हमें कोई भुगतान नहीं किया जाता है।


भोजन माता पुष्पा कुड़ई ने कहा कि उत्तराखंड में लगभग 25 हजार भोजनमाताएं है। जिनको उत्तराखंड सरकार ने “माता” (भोजनमाता) शब्द से नवाजा है। माता को सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन हमारी इतनी मेहनत का मात्र 3 हजार रूपए प्रति माह मानदेय देकर इस शब्द का भी अपमानित किया जा रहा है। उस पर भी हमें स्कूलों में अतिरिक्त काम करने से मना करने, स्कूल में बच्चे कम होने या छोटी सी भी गलती होने पर स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है।


भोजनमाता संगठन की महामंत्री रजनी जोशी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मिड डे मील योजना को गैर सरकारी संस्था अक्षय पात्र फांऊडेशन को सौप रही है। जिससे हमारा रोजगार पर भी संकट बढ़ता जा रहा है। इस तरह हमारा मानसिक उत्पीड़न बढ़ रहा है। वर्ष 2022 में उत्तराखंड के शिक्षा सचिव ने भोजनमाताओं का पांच हजार रुपए मानदेय करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। परन्तु उस प्रस्ताव पर अभी तक अमल नहीं किया गया है। हमारी मांगों पर तत्काल कार्यवाही की जाए। अन्यथा हम भोजनमाताएं संघर्ष को विवश होंगी।


उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के लिए ज्ञापन प्रेषित किया। जिसमें
न्यूनतम वेतन लागू करने,
भोजनमाताओं को स्थाई करने,
शिक्षा सचिव द्वारा भेजे गए 5000 रुपए के प्रस्ताव को तत्काल लागू करने,
भोजनमाताओं से अतिरिक्त कार्य करवाना बंद करवाने ,
भोजनमाताओं को बोनस और ड्रेस समय पर देने, भोजन माताओं का हर माह का मानदेय नियमित समय पर देने, हर स्कूल में गैस चूल्हे का बंदोबस्त कर भोजनमाताओं को धुए से मुक्त करने, अक्षय पात्र फाउंडेशन पर रोक लगाने तथा
ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं लागू करने की मांग की गई।
ज्ञापन देने वालो में पुष्पा कुड़ई, चम्पा, तुलसी, निर्मला, हंसी देवी, दीपा उप्रेती, बिन्दु, पुष्पा सरस्वती, बंसती , नरूली देवी, रूपा, मुन्नी, आरती जायडस कम्पनी से खिम सिहं, रंजना, शंकर टम्टा, पचास से महेश क्रालोस से टिका राम पांडे, शेखर सहित कई भोजन माताएं शामिल रही|

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