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भूखो मै सीती” यानी भाई भूखा रहा और मै सोती रही बोलते बोलते उसने अपने प्राण त्याग दिए।

उत्तराखण्ड

भूखो मै सीती” यानी भाई भूखा रहा और मै सोती रही बोलते बोलते उसने अपने प्राण त्याग दिए।

भिटोली उत्तराखंडी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है भेंट या मुलाकात से है। कुमाऊं तथा गढ़वाल में हर वर्ष चेत्र के महीने विवाहिता स्त्री के मौके वाले उसके ससुराल आते है तथा अपनी बेटी, बहन से मुलाकात करते है। इस भिटोली पर्व पर लड़की के मायके वाले लड़की के लिए अपने घर में बनाए गए व्यंजन जैसे आटा, चावल, दूध, घी, खीर, अर्शे, वस्त्र आदि सब ले जाते है।

लेकिन जब देर हो गई तो भाई का इंतेज़ार करते करते उसकी आंख लग गई और वो गहरी नींद में सो गई। इसी दौरान उसका भाई वहा आ पहुंचा लेकिन बहन को सोता हुआ देख उसे लगा कि उसकी बहन बहुत सारे काम के बोझ के कारण थक के सो गई है और उसे जगाना ठीक नहीं है। उसने भीटौली (Bhitoli) बहन के पास रख दी।

अगले दिन शनिवार होने की वजह दे परम्परा के अनुसार वह अपने बहन के ससुराल में नहीं रुक सकता था और रात तक उसे घर भी पहुंचना था इसलिए उसने तड़के में ही बहन के पैर छुए और अपने घर के लिए रवाना हो गया।जब लड़की की नींद खुली और अपने सामने भीटोली रखी हुए देख उसे पता चला कि उसका भाई आया था और मुझे सोता हुए देख वह बिना कुछ खाए पिए ही वापस लोट गया।वह सोचती रही कि भाई इतनी दूर से आया था और मेरे सीने की वजह से वो बिना कुछ खिलाए वह वापस चला गया। सोच सोच कर वह इतनी दुखी हुई की “भै भूखो मै सीती” यानी भाई भूखा रहा और मै सोती रही बोलते बोलते उसने अपने प्राण त्याग दिए।

वाकई में उत्तराखंड बेमिसाल है यहां हर महीने में एक या शायद कभी-कभी महीने में दो या तीन त्यौहार भी मनाए जाते हैं।हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई लोककथा जरूर होती है।या उस त्यौहार का सीधा संबंध प्रकृति से होता है।और यहां पर कई अनोखी और विशिष्ट परंपराएं हैं।उन्हीं में से एक है भिटौली ।

पुराने समय में लोगों के पास बहुत सारी जमीन व पशु होते थे।और वही उस वक्त में जीविका का एक मात्र साधन भी वही थे।जब बेटी ब्याह कर अपने ससुराल जाती थी।तो उसे घर परिवार व खेती-बाड़ी के कामों से फुर्सत ही नहीं मिल पाती थी कि वह अपने मायके जाकर परिजनों से मिल सके।और उस वक्त यातायात और दूरसंचार के साधन भी उतने ज्यादा नहीं थे।

इस महीने में पहाड़ों में खेती बाड़ी का काम थोड़ा कम हो जाता है।जिससे महिलाएं व परिजन थोड़ी फुर्सत में रहते हैं।इसीलिए यह महीना अपने विवाहित बेटियों या बहनों से मिलने जुलने का बनाया गया।

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