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बिजली संकट पर सरकार पर बरसी कांग्रेस, पूर्व सीएम हरीश रावत ने किया एक घंटे का मौन उपवास

बिजली संकट पर सरकार पर बरसी कांग्रेस

उत्तराखण्ड

बिजली संकट पर सरकार पर बरसी कांग्रेस, पूर्व सीएम हरीश रावत ने किया एक घंटे का मौन उपवास

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बिजली संकट पर सरकार पर बरसी कांग्रेस
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उत्तराखंड में बिजली संकट और जंगलों की आग पर कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में किया है। गुरूवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा नेता प्रतिपक्ष यशपाल और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर सवाल उठाए। कहा कि प्रदेश की जनता छात्र उद्योग जगत बिजली की कटौती की वजह से त्राहि त्राहि कर रहे हैं और सरकार आंखे मूंदे बैठी है। सरकार को जनता के दुखदर्द से कोई सरोकार नहीं है। पूर्व सीएम हरीश रावत बिजली के मुद्दे पर शुक्रवार को एक घंटे का मौन उपवास करेंगे। माहरा ने कहा कि एक ओर सरकार प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश कहते नहीं थकती और हाल यह है कि घंटों घंटों की कटौती हो रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान बड़े बड़े वादे करने वाले भाजपा के नेता अब बिजली संकट पर मुंह सिले हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान जनता के 24 घंटे बिजली देने का वादा पूरी तरह से फेल साबित हो गया है। परीक्षाओं के दौरान बिजली कटौती से छात्र से परेशान हैं। तो किसानों को भी बिजली की कमी के कारण खेतीबाड़ी में समस्या आ रही है। उद्योगों पर बिजली कमी होने से उद्योग जगत भी प्रभावित है। नतीजा यह है कि बेरोजगारी और महंगाई भी बढ़ने लगी।

बेरोजगारी और महंगाई भी बढ़ने लगी।

वही पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि एक समय तक उत्तराखंड बिजली कटौती मुक्त और सबसे सस्ती बिजली देने वाले राज्य था। अब ये दोनों विशेषताएं गायब होती जा रही हैं। जनता परेशान है और सरकार को चुनाव लड़ने के लिए सीट का सत्यापन करना है। यहां आने वालों को सत्यापन करना है। सरकार का ध्यान बिजली और पेयजल संकट की ओर खींचने के लिए कल शुक्रवार को मसूरी रोड स्थित आवास परिसर में एक घंटे का मौन उपवास किया जाएगा।

साथ ही पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम ने बिजली संकट के साथ ही जंगलों की आग को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। कहा कि भाजपा ने सत्ता में आते ही सबसे पहले बिजली के दाम बढ़ा दिए। बिजली को महंगा भी कर दिया और अब कटौती से जीना भी मुश्किल कर दिया है। बिजली न होने से उद्योग संकट में आ गए हैं। किसान खेतों में सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। आम आदमी को जीना मुश्किल है। दूसरी तरफ जंगल की आग दिन ब दिन विकराल होती जा रही है। जब अप्रैल में ही यह हाल है तो आगे क्या होगा ?

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