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धनतेरस, यम दीपदान, प्रदोष व्रत 2025

धर्म-संस्कृति

धनतेरस, यम दीपदान, प्रदोष व्रत 2025


दीपावली को लेकर सभी संशय अब समाप्त हो चुके हैं उत्तराखंड के चारों धामों के धर्माधिकारियों ने 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाने की शास्त्र सम्मत घोषणा कर दी है अतः आनंदित होकर संपूर्ण राष्ट्र के साथ पर्व मनाए

पंच दिवसीय दिवाली पर्व का प्रारंभ धनतेरस से होता है। इस वर्ष 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस मनाया जाएगा।

ॐ नमो भगवते धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्व आमय विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः॥

पंच दिवसीय दीपोत्सव की तिथियां कुछ इस प्रकार होंगी—:
दिनांक 18 अक्टूबर 2025 धनतेरस, शनि प्रदोष उपवास यमदीप दान

19 अक्टूबर 2025 छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी

दिनांक 20 अक्टूबर 2025 श्री महालक्ष्मी पूजन दीपोत्सव पर्व बड़ी दीपावाली।

21 अक्टूबर 2025 स्नान दानार्थ अमावस्या

दिनांक 22 अक्टूबर 2025 गोवर्धन पूजा अन्नकूट।

दिनांक 23 अक्टूबर 2025 यम द्वितीया, भैया दूज।

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस पर कुछ विशेष योग बन रहे हैं जो कि पर्व को और भी विशेष बना देते हैं ।
ब्रह्म योग, एंद्र योग, सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है,

धार्मिक मान्यतानुसार धनतेरस मनाने का रहस्य यह है कि समुंद्र मंथन से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में कलश लेकर समुंद्र से प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। विश्व में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस का पर्व धन, धान्य, समृद्धि के अतिरिक्त स्वास्थ्य,आरोग्यता से जुड़ा हुआ होता है। इसलिए इस दिन धन के लिए देवी लक्ष्मी व कुबेर और आरोग्य के लिए भगवान धनवन्तरि की पूजा अर्चना की जाती है।

धनतेरस पूजन का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 18 अक्टूबर 2025 अपराह्न 12:20 से 19 अक्टूबर 2025 अपराह्न 01:53 तक। तत्पश्चात चतुर्दशी तिथि प्रारंभ।

गोधूलि मुहूर्त रहेगा सायं काल 05:49 से 06:14 तक।

धनतेरस प्रदोष काल एवम् वृषभ काल पूजा मुहूर्त– सायंकाल 05:36 से रात्रि 08:08 तक रहेगा।

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस पर्व पर भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। प्रातः काल संपूर्ण घर व पूजा स्थल को शुद्ध कर लें तथा गंगाजल का छिड़काव करें।शुभ मुहूर्त में कुबेर देवता, भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा प्रारम्भ करें और पूजा स्थल पर (ईशान कोण) में प्रथम पूज्य श्री गणेश जी महाराज तथा देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत से स्नान करा उन्हें आसन प्रदान करें, तिलक करें, वस्त्र, आभूषण अर्पित करें, पूजा स्थल पर विराजमान सभी देवी देवताओं को तिलक लगाएँ, पंचमेवा, पांच मिठाई, पंच फल, पुष्प इत्यादि अर्पित करें। प्रातः काल से ही गाय के घी से अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। सायंकाल शुभ मूहूर्त में 11 घी की बाती से आरती करें।

धनतेरस पर क्या करें व क्या ना करें
1–धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है ।
इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है।
इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा की पूजा करें।
2- धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
3-धनतेरस पर धन के देवता कुबेर की पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है।
4–धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोटे पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है।
5–घर के मुख्य द्वार पर 13 दीपक जलाएं ।
धनतेरस पर क्या खरीदें:
लक्ष्मी गणेश की मूर्ति, सोना, चांदी, पीतल, मिट्टी के दीए ,झाड़ू खरीदना, तांबे का दीपक अति शुभ फल कारक।
धनतेरस पर क्या न खरीदें
धनतेरस पर इन वस्तुओं को खरीदने से बचना चाहिए–
एल्यूमिनियम का सामान,लोहे की वस्तुएं,नुकीली या धारदार वस्तुएं,प्लास्टिक का सामान,कांच के बर्तन,काले रंग की वस्तुएं इत्यादि।

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