उत्तराखण्ड
किराए पर दी गई दुकानों की व्यापक जांच,,,, नगर निगम।
हल्द्वानी। नगर निगम की ओर से किराये पर दी गई दुकानों से कई वास्तविक दुकानदार नदारद हैं। इन दुकानों में या तो वास्तविक किरायेदार के रिश्तेदार काबिज हैं या फिर कोई और। निगम के पास ऐसे साक्ष्य हैं कि कुछ किरायेदारों ने निगम की दुकानें बेच दी हैं और कुछ ने महंगे किराये पर किसी तीसरे व्यक्ति को दे दी हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए निगम प्रशासन ने जांच बैठा दी है। होली के बाद किराये पर दी गई दुकानों की व्यापक स्तर पर जांच होगी और नियमविरुद्ध बेची गई दुकानों के एग्रीमेंट निरस्त होंगे।
शहर में नगर निगम की 1200 से अधिक दुकानें हैं। सभी दुकानें पिछले कई वर्षों से किराये पर उठी हैं। अधिकतर दुकानों का अधिकतम किराया आठ सौ से हजार रुपये तक है। कई दुकानदार दुकानों के आगे फड़, ठेले लगवाकर न केवल अतिक्रमण को बढ़ावा देते हैं बल्कि वसूली भी करते हैं। स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की टीम समय-समय पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाती है। कुछ समय पहले नगर निगम ने यहां वर्कशाप लाइन से अतिक्रमण हटाया था लेकिन उसके बाद भी वहां दोबारा अतिक्रमण हो गया। इस दौरान निगम के अधिकारियों ने पूछताछ की तो पता चला कि निगम के कुछ वास्तविक किरायेदारों ने दुकानें किसी और को बेच दी हैं।
निगम प्रशासन ने दुकानें बेचने के मामले को गंभीरता से लेते हुए दुकानों की जांच के निर्देश दिए। मौके पर पहुंचे निगम के अधिकारियों ने 114 दुकानों की जांच की तो केवल 55 दुकानों में ही वास्तविक दुकानदार काबिज मिले जबकि शेष 59 दुकानें अन्य लोगों के पास मिली। ऐसे में अब इस बात की जांच की जा रही है कि वास्तविक किरायेदारों ने कितनी दुकानें बेच दी हैं और कितनी दुकानों को तीसरे व्यक्ति को किराये पर देकर मोटी रकम वसूली जा रही है।











