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अत्यधिक फलदाई होते हैं पुर्षोत्तम मास में किए हुए कर्मकांड : व्यास

उत्तराखण्ड

अत्यधिक फलदाई होते हैं पुर्षोत्तम मास में किए हुए कर्मकांड : व्यास


गणेश पाण्डेय, दन्यां: पुर्षोत्तम मास में किए हुए कर्मकांड काफी फलदायक होते हैं। ईश्वर द्वारा सृजित किए हुए इस महिने में आयोजित भागवत पुराण कथाओं का पुण्य फल मिलता है।यह बात दन्यां के समीप प्राचीन उर्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन के दौरान कथा व्यास पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने कही। विभिन्न गांवों से आए श्रोताओं को संबोधित करते हुए कथा व्यास ने बताया कि हिरण्य कश्यप के अत्याचारों से लोगों को बचाने के लिए ईश्वर ने नृसिंह रूप धारण किया। राक्षस हिरण्य कश्यप को प्राप्त वरदान के अनुसार उसका नाश वर्ष के 12 महिनों में नहीं हो सकता था।

इसी लिए अपने भक्तों की रक्षा के लिए तेरहवें मास का सृजन नृसिंह रूप भगवान ने उसका संहार किया। इस माह का नाम अधिक मास और पुर्षोत्तम मास रखा गया। कथा व्यास ने बताया कि तभी से हर तीसरे वर्ष में एक पुर्षोत्तम मास अस्तित्व में आया और इसका विशेष महत्व माना गया है। भागवत कथा के यजमान बसंत जोशी और मंदिर के पुजारी लीलाधर जोशी ने सात दिवसीय यज्ञ में अधिक से अधिक लोगों से भाग लेने की अपील की है।
 

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