उत्तराखण्ड
तीन साल से पंचायत घर में रह रहे बुजुर्ग दिव्यांग को नही मिल रही एक अदद छत मकान बनाने को चंदा के लिए ग्राम वासियों से लगाई गुहार दर्द भरी दांस्ता पर नही पसीजा सिस्टम।
हेम कांडपाल-
चौखुटिया(अल्मोड़ा)। हमारे सिस्टम ने एक अदद छत को तरस रहे इस बुजु्र्ग दिव्यांग के सब्र का बांध तोड़ दिया है। मानसिक रूप से विक्षिप्त अपने जवान बेटे के साथ तीन साल से गांव के पंचायत घर में बसर कर रहे हरकराम (70) ने चारों ओर से निराश होने के बाद गांव के लोगों से चंदा कर उसके लिए मकान बनाने की अपील की है। बताया गया कि तीन साल पहले अटल आवास स्वीकृत हुआ था परंतु तब से लंबा समय बीत गया परंतु वह आवास भी सरकारी फाइलों में गुम हो गया है।
स्याल्दे तहसील के ग्राम पंचायत ग्वालबीना निवासी हरकराम की दर्दभरी कहानी सुनकर हर कोई अवाक रह जाता है, पर उसके हाल पर पत्थर दिल सिस्टम नही पसीज रहा है। यदि अधिकारियों ने उस पर तरस खाया होता तो उम्र के अंतिम पड़ाव में एक अदद छत के लिए संघर्ष कर रहा यह दिव्यांग बुजुर्ग इस तरस मायूस और हताश नही होता। विकलांग का पैतृक घर जीर्ण, क्षीर्ण हो चुका है। आमदनी का कोई साधन नही है। विकलांग पेंशन के सहारे अपना व अपने जवान बेटे का पेट पाल रहा है। इकलौता बेटा भी मानसिक रूप से कमजोर है। बुजुर्ग की बदनसीबी ऐसी कि पत्नी कई साल पहले छोड़ कर चली गई। पहले लकड़ी का चूल्हा था अब उज्जवला योजना से रसाई गैस मिलने से थोड़ा राहत है।
मकान के अभाव में दिव्यांग बुजुर्ग पिछले तीन साल से बेटे के साथ गांव के पंचायत घर में किसी तरह समय बीता रहा है।
गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हंसादत्त ने बताया कि अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद दिव्यांग के लिए तीन साल पहले अटल आवास स्वीकृत होने संबंधी पत्र आया था परंतु लंबा समय बीत जाने के बाद भी आवास का कोई सुधलेवा नही है।
हर तरफ से निराश होने के बाद दिव्यांग ने ग्राम वासियों से मार्मिक अपील करते हुए उसके लिए मकान बनाने के लिए चंदा देने की अपील की है।
इन्सेट
तुम मुझे चंदा दो, मैं तुम्हें दुआ दूंगा।
दिव्यांग हरक राम ने जनता के नाम लिखे खुले पत्र में कहा है कि वह चार साल से मकान के लिए भटक रहा है, ब्लाक मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक हर तरफ गुहार लगाई परंतु अब थक हार चुका हूं। आश्वासन के सिवाय कुछ नही मिला है। पत्र में कहा है कि सभी लोग कुछ अंशदान देकर चंदा जमा करें तांकि वह अपने रहने लायक मकान बना सके। पत्र के अंत में तुम मुझे चंदा दो, मैं तुम्हें दुआ दूंगा लिखा है।