उत्तराखण्ड
हल्द्वानी में गिर्दा की पुण्यतिथि पर उनके गीतों के साथ याद किया गया
- हल्द्वानी
उत्तराखंड के जनकवि गिर्दा गिरीश तिवाड़ी को उनकी 14वीं पुण्यतिथि पर हल्द्वानी के साहित्यकार और संस्कृतिकर्मियों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की. हल्द्वानी रमोलिया हाउस में आयोजित “सावनी सांझ” कार्यक्रम में गिर्दा के कई साथी और युवा पीढ़ी के लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर गिर्दा की कविता, उत्तराखंड राज्य आंदोलन के श्लोगनों की प्रदर्शनी भी लगाई गई.
कार्यक्रम की शुरुआत सभी लोगों द्वारा उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत गाकर हुई. क्रिएटिव उत्तराखंड, काफल ट्री, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और पारंपरिक लोक संस्था परंपरा नैनीताल ने गिर्दा की पुण्यतिथि को हल्द्वानी में आयोजित किया.
गिर्दा की यादों को प्रदर्शनी के रूप देने वाले बृज मोहन जोशी बताया ने संस्मरण सुनाते हुआ कहा – गिर्दा चाहता था सिर्फ उसकी बात नहीं हो बल्कि कई ऐसी पहाड़ की स्तंभों को भी याद किया जाना चाहिए जिन्हें आज भुला दिया गया है…ऐसे लोगों का काम भी सामने आए. वीना तिवारी जी ने कई गीत सुनाए जो उन्होंने और गिर्दा ने संयुक्त रूप से गाए थे।
नैनीताल सामाचार में गिर्दा के साथी रहे हरीश पंत ने कहा… वह एक बहुत बड़े विजुअल आर्टिस्ट्स थे. अगर वह बड़े स्तर पर काम करते तो विश्वभर में प्रसिद्ध होते।
वरिष्ठ कवि ने गिर्दा के नाटकों और कविताओं से जुड़ी यादें साझा की। गिर्दा के दर्जन भर से अधिक गीतों को सभी लोगों ने मिलकर गाया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ लोकगायिका वीना तिवारी, ब्रिगेडियर धीरेश जोशी, व्यापार संघ के नवीन वर्मा, नवीन टोलिया, साहित्यकार प्रो. दिवा भट्ट, पत्रकार हरीश पंत, रंगकर्मी उमेश तिवारी विश्वास, मोहन पाठक, हरीश रावत, कवि जगदीश चंद्र जोशी, बची सिंह बिष्ट, स्वाति मेलकानी, हेमा हरबोला, हरीश रावत, पुष्पलता जोशी, सुधीर कुमार, दयाल पांडे, हिमांशु पाठक, सुनीता भास्कर, लता जोशी, हेम खोलिया, पीयूष जोशी, दया ऐंठानी, बीना बड़शिलिया, डिम्पल जोशी, दीपांशु कुंवर, कुलवंत सिंह, डॉ. अनिल कार्की, मनोज पांडे, हेम पंत, संदीप सोनू आदि उपस्थित रहे.