उत्तराखण्ड
कालिका कॉलोनी में सोनम- रंजना – बबीता – कमलेश व कमला के घर में संयुक्त रूप से आयोजित बैठकी होली।
हल्द्वानी में सोमवार को रंगों के पर्व होली का खुमार अपने चरम पर है। महिलाएं और पुरुष बैठकी होली के माध्यम से धीरे धीरे नजदीक आ रहे होली के त्यौहार की खुमारी में सराबोर होने लगे हैं। हल्द्वानी के समूचे क्षेत्र में इन दिनों कुमाऊंनी बैठकी होली की धूम है। होल्यार होली के रंग में डूबे हैं। जगह-जगह रंग-अबीर-गुलाल उड़ा कर होली का उल्लास बढ़ाया जा रहा है।
इसी के तहत हल्द्वानी में लोहरिया साल तल्ला घरों में महिलाओं के द्वारा बैठकी होली के द्वारा धूम मचाई जा रही है। इस मौके पर महिलाओं ने कालिका कॉलोनी में सोनम ,रंजना ,बबीता ,कमलेश व कमला के घर में संयुक्त रूप से आयोजित बैठकी होली में ढोलक की थाप व मंजीरों पर गीत गायन करने के साथ ही नृत्य कर होली मनाई। इस दौरान एकत्र हुईं महिलाओ ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हुए हिंदी और कुमाऊँनी भाषा मे होली गीत गाकर और नृत्य कर माहौल होलीमय कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान महिला होल्यारो ने बताया कि भारत के सबसे प्राचीन त्यौहार होली का पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। उन्होंने बताया कि पूरे देश भर में बरसाने की होली के बाद कुमाऊनी होली का नंबर आता है। कुमाऊनी होली खड़ी होली, बेठकी होली और महिला होली नामक तीन प्रकार की होती है। इसकी शुरुआत पौष माह के पहले रविवार से होती है और पूर्णिमा तिथि तक चलती है।
शुरुआत में बसंत पंचमी तक यह पूरी तरह से भक्ति में लीन होता है। इसमें भक्ति प्रेम भरा होता है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसको भक्त और भगवान के एकाकार होने का समय माना जाता है। होली का आगमन होते ही पेड़ो पर नई कोपलों के फूटने की तरह भक्ति और श्रृंगार रस में सब पूरी तरह से डूब जाते हैं और रोम-रोम आनंदित हो जाता है। खुशी को गायन, वादन और नृत्य के माध्यम से प्रकट करते हैं।