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गहड़ कभी गढ़ था आज भी सिरमौर :-चंद्रवीर गायत्री स्वतंत्र पत्रकार

उत्तराखण्ड

गहड़ कभी गढ़ था आज भी सिरमौर :-चंद्रवीर गायत्री स्वतंत्र पत्रकार

श्रीनगर गढ़वाल – श्रीनगर नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत गहड़ सिर्फ गांव नही कभी राजाओं का किला रहा होगा! और गहड़ का नाथबुद्ध भैरव मंदिर पौराणिक मन्दिर है प्रत्यक्ष रूप से मेरे परिवार की नवी पीढ़ी आज भी मन्दिर सेवा में समर्पित है! मेरा मानना है कि गांव के मध्य में द्रोपती का हवन कुंड एक राजशाही का प्रतीक है ,बैकुण्ठ यात्रा के दौरान देवी द्रोपती जो कि सती का ही अवतार थी ने गहड़ में हवन किया होगा अपने बिश्राम के दौरान कुछ प्रत्यक्ष है कुछ कल्पना भी,जैसा कि सभी को जानकारी होनी चाहिए कि श्रीनगर नरेश का गोदाम खोला में था! तो नदी व शहर की ऊंचाई का अनुमान लगा लीजिए ये कल्पना नही इतिहासकारों के दस्तावेज में है !

अगर खोला गोदाम था तो पैदल मार्ग भी खोला के आसपास से गुजरता होगा मेरी जानकारी के अनुसार मसूड़ गांव से गहड़ तक एक चौड़ा बेहतरीन रास्ता था! जो मलेथा भटौली तक एक रूप में था! वही रास्ता देवलगढ़ को जोड़ता था देवलगढ़ राज की उतपति बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर से पहले की बताई गई है! यहाँ स्वयं शिव पार्वती अपने परिवार के साथ निवास करते थे ये तो प्रमाणिक है कि देवलगढ़ छेत्र देव स्थल है जिसमें देवी गौरा दक्षिण कालिंका भैरवनाथ सुमाड़ी हरकंडी की नाग रकसनी देवी खोला का मन्दिर गहड़ का नाथबुध भैरव कांडे खाल का नर्सिंग मन्दिर इत्यादि मन्दिर इसकी गवाई देते हैं कुछ तथ्य इस मार्ग को बद्रीनाथ केदारनाथ पैदल मार्ग के प्रमाण देते हैं इसी आधार पर गहड़ में द्रोपती की हवन कुंडी होने के प्रमाण मिलते है जिस जगह पर देवी की हवन कुंडी बताई जाती है आज उस जगह पर पंवार वंश की कुलदेवी का मंदिर स्थापित है कुंडी के उत्तरी भाग में नाथबुद्ध भैरव व पूर्वी भाग में गांव का पानी का धारा स्थापित था

जबकि दक्षिण भाग में जलेथा ब्लोड़ी मार्ग जुड़ा है वहीं पश्चिमी भाग में यात्रा मार्ग मसूड़ की तरफ जुड़ा है गहड़ में समय समय पर खोदाई के दौरान पुराने भवन व बस्तुएँ भी मिली है पूर्वजों के अनुसार ए गांव नाथ सम्प्रदाय का था! नाथ जोगी इस गांव के मूल निवासी थे इस गांव को स्वीत से लेकर जलेथा मलेथा कुमरेणु से लेकर मसूड़ सरणा तक का छेत्रफल चंबा से आए दिखोला रावत थोकदारों ने खरीदा! जैसे ही गांव खरीदा गांव में देवी देवताओं का प्रचंड व्यवहार देख बुघानी से गायत्री परिवार को आमंत्रित किया गया पूर्वजों के अनुसार गायत्री परिवार के लोग शास्त्र विद्या के ज्ञानी थे उन्हें देव स्थापना व शास्त्र विद्या से गांव की रक्षा का हुनर था गहड़ में आज तक न कभी जनवरो को कोई रोग हुआ न कभी बन्दर गांव के अंदर आए बाघ भी आता है तो पहले भैरवनाथ के मंदिर जाता है! ए मान्यता आज भी बिद्यमान है कहते हैं मंत्र व शास्त्रों के द्वारा गांव की सीमाओं को बांध दिया गया था! गहड़ का बड़ा इतिहास रहा है गहड़ से ज्योतिषी बिद्या के प्रचंड ज्ञानी रेणु गायत्री ने गहड़ के नर्सिंग जमीदार जिन्हें अंग्रेजी शासन काल मे तीन खून माफ थे के दौरान कई ऐतिहासिक कार्य शास्त्र बिद्या से करके दिखाए इन्ही के द्वारा पांडव नृत्य की स्थापना की गई द्रोपती की हवन कुंडी के आधर पर ए देव कार्य किया गया! इस कार्यक्रम को अपनी सुरीली आवाज व अपने वादन से शुशोभित करने वाला परिवार वर्त्तमान प्रसिद्ध धामी श्री भरोसी लाल जी के पूर्वज थे ए पांडव लीला कार्यक्रम मलेथा गहड़ दो गांव ने संयुक्त रूप से शुरू किया आज भी छेत्र के वरिष्ठ धामी भरोसी लाल पांडव नृत्य से जनमानस को अभिभूत कर रहे हैं! आज भी गहड़ की पाण्डव लीला नृत्य उन्ही के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है! गहड़ जमीदार ,सूबेदार शास्त्री अंग्रजो के समय इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज गढ़वाल कमिश्नर केबिनेट मंत्री राज्यस्तरीय वरिष्ठ पत्रकार जिला पंचायत अध्यक्ष ब्लाक प्रमुख सेना के कमांडेंट ईयर फोर्स में पायलट इंजीनियर वकील जैसे पदों के लोगो ने गांव का नाम रोशन किया है वहीँ गढ़वाल का सबसे बड़ा उधान (बगीचा) लगाकर इंजीनियर अर्जुन सिंह पंवार ने राज्य में ख्याति पाई है छेत्र में विकास के मामले में गहड़ नम्बर वन पर रहा है आज गहड़ श्रीनगर महानगर का अंग बन गया ठीक उसी प्रकार जब कभी राजा की राजधानी का अंग रहा होगा और इस गांव से बैकुण्ठ की यात्रा रही होगी इस गांव में छेत्रपाल देवता का मंदिर बद्रीनाथ के ध्वज के साथ अपनी अनोखी छठा बिखेर रहा है यह मन्दिर रिद्धि सिद्धि का मंदिर है जो भी इस मंदिर में आता है खाली हाथ नही जाता इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी समस्या लेकर आता उसे उसका समाधन मिल जाता है! मन्दिर की घण्टियाँ व छत्तर बताते है की कितनो की मनोकामना पूर्ण हुई होगी! एक महत्वपूर्ण जानकारी इसी देवता की डोली ने बद्रीनाथ केदारनाथ में पहुँच कर इतिहास बनाया इसी छेत्रपाल की डोली पहली पौड़ी जिले की डोली है जो बद्री केदार की यात्रा सैकड़ो भक्तों के साथ करके आई है आज ए छेत्र का सिद्धपीठ है इस देवता के पश्वा श्री पदम गायत्री हैं गायत्री कुल इसका पुजारी है गहड़ को ऊंचाई देने में गहड़ के कुछ परिवारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसमे रावत ,पंवार,गायत्री सबसे आगे रहे हैं रावत चंबा टिहरी व पंवार मध्यप्रदेश गायत्री बूढ़ाकेदार से बुघाणी व गहड़ इन परिवारों ने इस गांव को आज भी पहचान दिला रखी है गहड़ निरन्तर प्रगति के पथ पर है और अपने छेत्र का नेतृत्व कर रहा हैं!

लेखक चन्द्रवीर गायत्री स्वतंत्र पत्रकार की कलम से।

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