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कार्तिक पूर्णिमा व चंद्र ग्रहण।

धर्म-संस्कृति

कार्तिक पूर्णिमा व चंद्र ग्रहण।

ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी

7 नवंबर 2022 सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा।
तथा 8 नवंबर 2022 दिन मंगलवार को चंद्र ग्रहण पड़ेगा
वैसे तो वर्ष भर की सभी पूर्णिमा महत्वपूर्ण होती है परंतु कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है कार्तिक माह का नाम वेदों में ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्यवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है धार्मिक मान्यता है कि कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 7 सितंबर 2022 दोपहर 4:18 से 8 सितंबर 2022 दोपहर 4:24 तक।
महत्व व उपाय
कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।
पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति प्राप्त होती है।
जिन भी जातकों का चंद्रमा कमजोर हो, या नीचस्थ हो या क्षीण हो ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा से उपवास प्रारंभ करने से चंद्रमा मजबूत होता है ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना अति शुभ फल कारक होता है। सफेद कपड़ा, चावल, चीनी, दही, मोती, शंख,चांदी, सफेद पुष्प भेंट आदि।
चंद्र ग्रहण व ग्रहण का समय
8 नवंबर 2022 मंगलवार को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अमेरिका के अतिरिक्त यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ होगा। सूतक काल का समय प्रारंभ होगा प्रातः 5:38 से सायं 6:19 तक। सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे एवं सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे।( देव पूजा इत्यादि 5:29 से पूर्व ही कर ले)
ग्रहण का स्पर्श काल रहेगा दोपहर 1:38 पर
मध्यकाल 4:29 मिनट पर। भारत में चंद्र ग्रहण 5:19 मिनट से प्रारंभ।
ग्रहण का मोक्ष सायं काल 6:19 पर होगा।
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। किसी भी धारदार हथियार का प्रयोग करने से बचें। सुई का प्रयोग ना करें। निद्रा से परहेज करें। इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें। गीता रामायण का पाठ करें।
जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु से पीड़ित हो केतु से पीड़ित हो या फिर चंद्रमा शनि के साथ विष दोष उत्पन्न हो रहा हो ऐसे जातकों को चंद्र ग्रहण के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना शुभ फल कारक होगा।
चंद्रग्रहण का देश और दुनिया एवं सभी राशियों पर प्रभाव के लिए अगले अंक की प्रतीक्षा करें।

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