धर्म-संस्कृति
जानिए पितृ पक्ष के बारे में।
धर्म/संस्कृति:पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध तर्पण श्रद्धापूर्वक करना हमारी सनातन परम्परा है। भाद्र मास में पितरों का तर्पण करने से परिवार को पितरों के आशीर्वाद से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वैसे तो पितृपक्ष 16 दिन का होता है, इस बार 15 दिन का होगा, लेकिन तिथियों की घटा-बढी के कारण पितृ पक्ष 14 दिन में समाप्त हो जायेगा।
इस वर्ष पितृ पक्ष में दो ग्रहण होना ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पितृपक्ष 7 सितंबर से लेकर 21 सितम्बर तक रहेगा। 7 सितम्बर को पूर्णिमा का श्राद्ध 12 बजकर 57 मिनट से पूर्व करना होगा, क्योंकि चंद्रग्रहण के कारण 12 बजकर 58 मिनट से सूतक काल शुरू हो जायेगा जो रात्रि 1:26 तक विद्यमान रहेगा। इसी के साथ जो पूर्णिमा का व्रत रखकर चंद्र की पूजा करते है, वो चंद्र की पूजा केवल जल और फल से कर अगले दिन स्नान कर व्रत का पारण और भोजन ग्रहण करें।
8 सितम्बर प्रतिपदा को पहला श्राद्ध होगा, जबकि दस सितम्बर को तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन में होगा। इस वजह से एक दिन कम हो रहा है। 21 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात तिथि वाले पितरों का तर्पण श्रद्धापूर्वक होगा। इसके साथ ही इस दिन सूर्य ग्रहण होने से श्राद्ध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सूर्य ग्रहण भारत में अदृश्य होगा।
7 सितंबर पूर्णिमा श्राद्ध, 8 सितम्बर प्रतिपदा, 9 सितम्बर द्वितीया,10 तृतीया एवं चतुर्थी, 11 सितम्बर पंचमी, 12 सितंबर षष्ठी, 13 सितम्बर सप्तमी, 14 सितम्बर अष्टमी, 15 सितम्बर नवमी, 16 सितम्बर दशमी, 17 सितंबर एकादशी,18 सितंबर द्वादशी, 19 सितम्बर त्रयोदशी, 20 सितम्बर चतुर्दशी, 21 सितम्बर सर्वपितृ अमावस्या है।











