उत्तराखण्ड
जानिए बद्रीनाथ के तप्त कुंड का क्या है रहस्य?
श्रीनगर गढ़वाल – हमारे पौराणिक धर्म ग्रन्थों में चार धाम यात्रा का अपना विशिष्ट महत्व बताया गया है। इनमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। अध्यात्मिकता के भाव को समेटे हुए इसअलौकिक धाम की यात्रा करना देश का हर नागरिक का सपना रहता है। इस यात्रा से त्वचा सम्बंधित रोगों से छुटकारा मिलने के साथ ही मां लक्ष्मी की भी विशेष कृपा बन जाती है।यहां के चमत्कारीक स्वरुप वैज्ञानिकों को आज भी रहस्य बना हुआ है।मान्यता है कि इस तप्त कुन्ड में साक्षात सूर्य देव बिराजते हैं।भगवान सूर्य देव को भक्षा भक्षी की हत्या का पाप लगा था।तब प्रभु नारायण के कहने पर सूर्य भगवान ने बद्रीनाथ के मंदिर में तप किया ।यहां के कुन्ड को ही अपना निवास स्थान बनाया।हिमालय पर्वत की श्रेणी में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। क़रीब 3133 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर का इतिहास काफ़ी पुराना है। इसके बारे में कई अलौकिक कथाएं भी प्रचलित हैं। नर और नारायण पहाड़ों के बीच कस्तूरी शैली में बना यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां नर और नारायण की पूजा की जाती है। यहां भगवान विग्रह रूप में विराजमान हैं। मंदिर तीन भागों में विभाजित है।
गर्भगृह, दर्शन मंडप और सभामंडप का तापमान हमेशा 9 से 10 डिग्री सेल्सियस रहता है। लेकिन यहां उपस्थित तप्त कुंड का तापमान औसतन 54 डिग्री सेल्सियस रहता है। यह अपने आप में एक चमत्कार है कि जो मंदिर चारों ओर से बर्फ़ की ढकी पहड़ियों से घिरा हो, जहां नल का पानी भी जम जाता है।
मान्यताहैं कि बद्रीनाथ धाम में गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से शरीर संबंधित सभी प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बाहर से छूने पर कुंड का पानी काफ़ी गर्म लगता है। लेकिन नहाते समय कुंड का पानी शरीर के तापमान जैसा ही हो जाता है। तप्त कुंड की मुख्य धारा को दो भागों में बांट कर यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नान कुंड बनाया गयेहैं। माना जाता है कि नीलकण्ठ की पहाड़ियों से इस पानी का उद्गम है। कहते हैं कि भगवान बद्रीनाथ ने यहां तप किया था। वही पवित्र स्थल आज तप्त कुंड के नाम से विश्व विख्यात है।
मंदिर से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर बसा है ‘माना गाँव।’ कहते हैं इसी गांव से ‘धरती का स्वर्ग’ निकलता है। लोगों का यह भी कहना है कि यहाँ आने से पैसों से सम्बंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। यहां मौजूद गणेश गुफा, भीम पुल और व्यास गुफा अपने आप में कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं। कहते हैं कि तप्त कुंड के पानी में स्नान करने से भक्तों को उनके पापों से छुटकारा ही नहीं मिलता बल्कि उन्हें कई रोगों से मुक्ति भी मिल जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि ‘बदरी सदृशं तीर्थ, न भूतं न भविष्यति’ । यहां मौजूद गणेश गुफा,भीम पुल,व्यास गुफा अपने आप में क्ई पौराणिक कथा ओं को समेटे हुए हैं।
लेखक -अखिलेश चन्द्र चमोला,स्वर्ण पदक प्राप्त तथा राज्य के उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित ।