Connect with us

जानिये कब मनाया जाएगा उत्तराखंड का लोक पर्व घी त्यार।

धर्म-संस्कृति

जानिये कब मनाया जाएगा उत्तराखंड का लोक पर्व घी त्यार।

17 अगस्त 2023 दिन गुरुवार को कुमाऊनी लोक पर्व घी त्यार(घी संक्रांति ) मनाया जाएगा।
देवों की भूमि उत्तराखंड के लोगों को विशेष रूप से छोटी-छोटी खुशियों को उत्सव के रूप में मनाने के लिए जाना जाता है। उन्ही में से एक पर्व है
घी त्यार ( घी त्यौहार) उत्तराखण्ड का एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार भी हरेले की ही तरह ऋतु आधारित त्यौहार है। हरेला जहाँ बीजों को बोने और वर्षा ऋतु के आगमन का प्रतीक त्यौहार है, वहीं घी-त्यार फसलों में बालियों के लग जाने पर मनाया जाने वाला त्यौहार है।
प्राचीन काल से ही उत्तराखंड में संक्रान्ति को लोक पर्व के रूप में मनाने का प्रचलन रहा है। भाद्रपद मास की संक्रान्ति, जिस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करते है और जिसे सिंह संक्रांति भी कहते हैं, यहाँ घी-त्यार के रूप में मनाया जाता है।
हम सभी को जानकारी होनी चाहिए की घी त्यार क्यों मनाया जाता है


उत्तराखंड में घी त्यार किसानो के लिए अत्यंत महत्व रखता है |
और आज ही के दिन उत्तराखंड में गढ़वाली , कुमाउनी सभ्यता के लोग घी को खाना जरुरी मानते है । उसके पीछे एक मान्यता है कहा जाता है जो भी जातक सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन नहीं करते उन्हें अगले जन्म में घोंगा (Snail) के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इसलिए इस दिन घी का सेवन किया जाता है व नवजात बच्चों के सिर और पैर के तलुवों में भी घी लगाया जाता है।
घी त्यार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है। वर्षा ऋतु के बाद आने वाले इस त्यौहार में कृषक परिवारों के पास दूध व घी की कोई कमी नहीं होती हैं क्योंकि वर्षा काल में पशुओं के लिए हरा घास व चारा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता हैं। इसी कारण दुधारु जानवर पालने वाले लोगों के घर में दूध व धी की कोई कमी नहीं होती है। यह सब आसानी से वह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो जाता है और इस मौसम में घी खाना स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभदायक भी माना जाता है। यह शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है तथा बच्चों के सिर में भी घी की मालिश करना अति उत्तम समझा जाता है।


इस दिन का मुख्य व्यंजन बेडू की रोटी है। (जो कि उड़द की दाल भिगो कर, पीस कर बनाई गई भरवाँ रोटी बनती है ) और घी में डुबोकर खाई जाती है।
उत्तराखंड में घी त्यार के दिन एक का प्रचलन है कि अपने रिश्तेदारों को नई सब्जियां, दूध, दही, घी उपहार स्वरूप भेंट किया जाता है।
बदलते समय में घी संक्रांति के का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है।
अपनी संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास करते हैं अधिक से अधिक शेयर करें और लोगों को जागरूक करें।

Ad Ad

More in धर्म-संस्कृति

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page