उत्तराखण्ड
प्रतिपक्ष संवाद में पढ़े दीपोत्सव पर रचना –दीप जलायें।
आओ हम सब मिलकर अब,
मानवता के दीप जलायें।
रोशन करें हम जग को अब,
आओ हम दीवाली मनायें।
मन का अहंकार मिटायें,
खुशियां हम मिलकर फैलायें।
आओ हम सब मिलकर अब,
मानवता के दीप जलायें,…
दीप जले चाहे माटी के,
या मोम बत्ती से हो रोशन।
दीया बाती तेल से सीखें,
मोम पिघलकर जग रोशन।
दीया एक अब हम बन जायें,
उजियारा चहुं ओर फैलायें।
आओ हम सब मिलकर अब,
मानवता के दीप जलायें,…
प्रेम भाव की हों फुलझडि़यां,
संपन्नता की खिले तब कलियां,
खुशियों की हो आतिशबाजी,
धरा बचे, न हो करतबबाजी।
हो न प्रदूषण मिलकर सोचें,
धरा हैं सुंदर हम इसकों सिंचें,
प्यारी धरा तब हों वृक्ष लतायें,
पर्यावरण भी आओ बचायें।
आओ हम सब मिलकर अब,
मानवता के दीप जलायें,….
हो मिठास मिठाईयों जैसी,
वाणी मधुरता कोयल जैसी।
राग द्वेष का मिटे अंधियारा,
प्रेम भाव का हो उजियारा।
मिलकर ज्ञान के दीपक से,
आओ रोशनी हम फैलायें।
आओ हम सब मिलकर अब,
मानवता के दीप जलायें,…
रोशन करें हम जग को अब,
आओ हम दीवाली मनायें,…
….भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखण्ड)
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