धर्म-संस्कृति
माघ पूर्णिमा, जानिए इस दिन का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।
23 फरवरी 2024 दिन शुक्रवार को माघ पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा तथा स्नान दानार्थ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यतानुसार माघ पूर्णिमा पर सभी देवतागण देवलोक से पृथ्वी पर विचरण करते है व गंगा स्नान हेतु प्रयागराज आते हैं इसलिए माघ पूर्णिमा को गंगा स्नान को अति शुभ फल कारक माना जाता है।
माघ पूर्णिमा से शीत ऋतु समाप्त होकर ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होती है इसलिए भी माघ पूर्णिमा विशेष मानी गई है।
माघ पूर्णिमा पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है l
मूहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 23 फरवरी 2024 अपराह्न 3:36 से 24 फरवरी 2024 सायं काल 6:03 तक।
चंद्रोदय सायंकाल 6:11 पर।
पूजा विधि
नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर व मंदिर को स्वच्छ कर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करें यदि संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। सूर्य के सम्मुख खड़े होकर सूर्य को तिल डालकर अर्घ्य प्रदान करें सूर्य देव को धूप दीप अर्पित करें। तत्पश्चात पूजा स्थल पर अखंड दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराकर आसन प्रदान करें। भगवान विष्णु को रोली, अक्षत कुमकुम, पीतांबर, पुष्प,दूर्वा, धूप, दीप अर्पित करें। सत्यनारायण की कथा का पाठ करें। भगवान विष्णु को भोग स्वरूप चरणामृत, पान सुपारी, पंचमेवा, पंच मिठाई, पंच फल, तुलसी के पत्ते एवं विशेष रूप से खीर का भोग अवश्य लगाएं।
घी की 11 बत्तियां जला कर भगवान विष्णु की आरती करें।
चंद्रोदय के समय चंद्रदेव को स्टील या चांदी के बर्तन से अर्घ्य प्रदान करें। स्टील के पात्र में चंद्रमा का प्रतिबिंब बनाकर रोली, कुमकुम, अक्षत, चंदन, धूप दीप, नैवेद्य अर्पित कर घी के दीपक से आरती करें और खीर का भोग लगाएं।
जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर है नीच का है ऐसे जातकों को सफेद वस्तुओं का दान जैसे सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, दही, घी, मोती, शंख, इत्यादि का दान करना अति शुभ रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी
83958 06256