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विलुप्तप्राय औषधियां पादपों का संरक्षण जरूरी- कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल।

उत्तराखण्ड

विलुप्तप्राय औषधियां पादपों का संरक्षण जरूरी- कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल।

श्रीनगर गढ़वाल – हेमंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में आज डाबर इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधि डॉ चरण सिंह राणा तथा यशवीर सिंह नेगी ने कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल को विलुप्तप्राय औषधीय पादपों के उच्च गुणवत्ता युक्त बीज सोंपते हुए।
औषधियां एवं सगंध पादपों की बढ़ती मांग लोगों में अल्प जानकारी एवं जंगलों से वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पादपों का विदोहन रोकने के दृष्टिगत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखंड के उच्च हिमालयी गांवो में औषधीय पादप कि कृषिकरण हेतु कार्य किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों एवं शोध छात्राओं को औषधीय एवं सगन्ध पादपों के बारे में शिक्षा दिए जाने के साथ साथ शोध कार्य भी करवाए जाते हैं लेकिन वर्तमान में औषधीय पादपों के अपने प्राकृतिक वासों से धीरे -धीरे विलुप्त होने पर वैज्ञानिक जगत में चिंता बनी हुई है। साथी एक ही स्थान पर औषधीय एवं सगन्ध पादपों की उपलब्ध ना हो पाने के कारण विश्वविद्यालय के शिक्षकों को विद्यार्थियों एवं शोध छात्रों को औषधीय पादपों के बारे में स्थानीय जानकारी प्रदान करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल का कहना है कि सर्वप्रथम विलुप्तप्राय औषधीय पादपों के संरक्षण की विधियों को खोजने पर शोध कार्य किया जाना जरूरी है जिसके लिए डाबर इंडिया लिमिटेड जैसी मल्टीनेशनल आयुर्वेदिक कंपनियों का सहयोग लिया जा सकता है साथ ही मध्य हिमालय में भी विभिन्न प्रकारों के अवरोधों से किसानों कास्तकारों से दूर जा रह लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण घटकों को निजात किये जाने पर भी कार्य किया जाना अति आवश्यक है जिसके लिए विश्वविद्यालय ट्रापिकल क्षेत्रों मे पाये जाने वाली इंडस्ट्रियल महत्व कि औषधीय पादप प्रजातियों की पौध तैयार कर इच्छुक स्थानीय लोगों को निशुल्क वितरित कर सकता है जिससे स्थानीय लोग आसानी से औषधीय पादपों का उत्पादन कर आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। कुलपति का कहना है कि विश्वविद्यालय में भी एक औषधीय पौधा पार्क स्थापित किया जा सकता है जो इस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
डाबर इंडिया लिमिटेड के बायोरिसोर्स बोर्ड के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज रतूड़ी का कहना है कि सिर्फ आंवले किसी कंपनी को 250 मेट्रिक की प्रतिवर्ष मांग रहती है जबकि इसी प्रकार अन्य 100 से अधिक प्रजातियां हैं जिनके रो मटेरियल को विभिन्न आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है।
कुलपति अन्नपूर्णा नौटियाल व डाबर इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधियों के साथ औरत की गई बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा डाबर इंडिया लिमिटेड अपने कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी सीएसआर फंड के तहत विश्वविद्यालय में एक विश्वस्तरीय औषधियां पौधा पार्क की स्थापना अगर सहयोग करता है तो ये कंपनी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी जिस हेतु विश्वविद्यालय जमीन देने में पूरा सहयोग करेगा।
कार्यक्रम में डाबर इंडिया लिमिटेड के बायोरिसोर्स बोर्ड से आए प्रतिनिधि डॉ चरण सिंह राणा तथा यशवीर सिंह नेगी द्वारा प्रोफेसर पी प्रसाद डीन कृषि संकाय एवं प्रोफेसर एम.सी नौटियाल निर्देशक हैप्रेक की उपस्थिति में उच्च हिमालय में पाए जाने वाले विलुप्तप्राय औषधीय पादपों अतीश एवं पुष्करमूल के उच्च गुणवत्ता युक्त बीज भी कुलपति को सौपे गए साथ ही कुलपति द्वारा डीन कृषि संकाय को निर्देशित किया गया है कि औषधीय पौधों की संरक्षण के लिए कृषि संकाय के विभागों के साथ-साथ भेषज विज्ञान विभाग, पर्यावरण विज्ञान विभाग एवं विश्वविद्यालय के अन्य संबंधित विभागों को जोड़कर एक नई पहल की जाए जिससे सभी विभाग औषधीय पादप के बारे में दी जा रही शिक्षा एवं किए जा रहे शोधों को धरातल पर उतारने में सफल साबित हो सके।

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