उत्तराखण्ड
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में देवभूमि उद्यमिता कार्यक्रम का आयोजन।
दैनिक प्रतिपक्ष संवाद प्रदीप कुमार
अगस्त्यमुनि/रूद्रप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि रूद्रप्रयाग में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.दलीप सिंह के निर्देशन में देवभूमि उद्यमिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ तत्पश्चात छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत गीत गाया। प्राचार्य दलीप सिंह ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहां की उत्तराखंड राज्य में उद्यमिता की पर्याप्त संभावनाएं हैं और साथ ही यह भी बताया कि यह कार्यक्रम उत्तराखंड सरकार एवं भारतीय उद्यमिता संस्थान अहमदाबाद के सहयोग से चलाये जा रही महत्वपूर्ण योजना है जिसका लाभ प्रत्येक छात्र-छात्रा और व्यक्ति को लेना चाहिए। महाविद्यालय में आए हुए विषय विशेषज्ञ डॉ.विकास शुक्ला ने उत्तराखंड में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए छात्र- छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जिसमें उन्होंने टूरिज्म,ऑर्गेनिक प्रोडक्ट, हर्बल प्रोडक्ट,मिलेट्स जिसमें विशेष रूप से मंडवे आदि के उद्योग को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के विषय में बताया। मुख्य वक्ता सुमित कुमार मिश्रा ने अपने विशिष्ट व्याख्यान में देवभूमि उद्यमिता योजना के विषय में विस्तार पूर्वक बताया उन्होंने विद्यार्थियों को स्टार्टअप के विषय में तथा बिजनेस आइडिया लोकल एरिया में क्या-क्या हो सकते हैं साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह विद्यार्थी हो या किसी नौकरी पैसे वाला हो उद्योग की ओर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। लोकल उद्यमी प्रवेंद्र गुसाईं ने प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर विद्यार्थियों को पीपीपी के माध्यम से मशरूम खेती व अन्य लोकल उद्योगों के विषय में जानकारी दी। ऑनलाइन ऑफलाइन माध्यम से पंजीकृत 516 छात्र-छात्राओं में से 233 छात्र-छात्राएं इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन देवभूमि उद्यमिता योजना के संयोजक डॉ.विष्णु कुमार शर्मा द्वारा किया गया साथ ही उन्होंने ईडीआईआई अहमदाबाद से प्राप्त प्रशिक्षण के अनुभव को छात्र-छात्राओं के साथ साझा किया। इस अवसर पर देवभूमि उद्यमिता समिति के सदस्य डॉ.राजेश कुमार,डॉ.ममता भट्ट,डॉ.गिरिजा प्रसाद रतूड़ी,डॉ.तनुजा मौर्य तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी गण और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।