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पी. सी.तिवारी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविध्यालय में प्रोफेसरों की अवैध नियुक्ति को रद्द करने की मांग की।

उत्तराखण्ड

पी. सी.तिवारी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविध्यालय में प्रोफेसरों की अवैध नियुक्ति को रद्द करने की मांग की।

अल्मोड़ा (उत्तराखंड)
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में की गई प्रोफेसरों की अवैध नियुक्ति को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि प्रशासन छात्रों के हितों व शिक्षा से खिलवाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे में हुई सभी अवैध नियुक्तियों और आर्थिक गड़बड़ियों की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में गठित एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षा मंत्री, कुलपति व सभी दोषियों को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 25 पदों पर अपने चहेतों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय आरक्षण के रोस्टर में गड़बड़ी करते हुए आरक्षण नियमावली को भी ताक पर रख दिया गया और महिलाओं का 30 प्रतिशत आरक्षण गायब कर दिया जो राज्य की महिला शक्ति का अपमान है। इस हरकत से सरकार की महिला पक्षधरता की पोल खुल जाती है। उन्होंने कहा कि जंतु विज्ञान और पत्रकारिता जैसे विषयों पर बिना योग्यता के चहेतों का चयन करने से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए निर्धारित तमाम नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों विषयों में उन व्यक्तियों का चयन कर लिया गया जो आठ साल न्यूनतम असिस्टेंट प्रोफेसर के वेतनमान पर काम करने की अनिवार्य योग्यता पूरी नहीं करते हैं। आरटीआई के माध्यम से बाहर आए दस्तावेज़ पूरे भर्ती घोटाले की पोल खोल देते हैं। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर विषयों में स्क्रीनिंग कमेटी की तरफ से उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता दिखा देने के बाद भी उनकी नियुक्ति कर लेना भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस भ्रष्टाचार और घोटाले के सामने आने के बाद भी ज़ीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार के कैबिनेट शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कहा कि सभी नियुक्तियां यूजीसी के मानकों के अनुसार हुई हैं।

भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे ऐसे शिक्षा मंत्री और इसमें शामिल सभी लोगों का एक दिन भी पद पर बने रहना पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए ख़तरनाक है।

उन्होंने कहा कि राज्य में योग्यता रखने वाले लाखों लोग भी बेरोज़गारी झेल रहे हैं ऐसे में पिछले दरवाज़े से अपने चहेतों की नियुक्ति करना सरकार के अन्यायपूर्ण व्यवहार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हम नवनियुक्त राज्यपाल से मांग करते हैं कि वे मुक्त विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार की तुरंत जांच कर दोषियों को सज़ा दिलाएं। उन्होंने कहा कि यदि दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं की गई तो उपपा पूरी ताकत से इसका विरोध करेगी।

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