दन्यां
स्मार्ट डिवाइस के शिकंजे में अवसादग्रस्त हो रही युवा पीढ़ी— मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयाेग को लेकर चिंतित हैं अभिभावक व शिक्षक
दन्यां: हमारे देश में 1995 में पहली बार शुरू हुई मोबाइल सेवा ने अब संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। वर्तमान में यह डिवाइस सबसे अधिक आवश्यकीय हो गया है। इस बहुउद्देशीय उपकरण ने पूरी दुनियां को जैसे एक मुट्ठी में समेट दिया है। छोटे से इस डिवाइस ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। तकनीक में हुई तेजी के चलते मोबाइल फोन में सभी आवश्यक सेवाएं और फीचर समाहित हो गए हैं। कैमरा, इंटरनेट, स्मार्ट ऐप, विडियो कालिंग, सोशल मीडिया आदि ने हमारी जीवन शैली को बदल दिया है। स्मार्ट फोन के जहां तमाम सकारात्मक प्रभावों में संचार के क्षेत्र में बदलाव, शिक्षा में उपयोग, आर्थिक विकास, बैंक खातों का प्रबंधन, ऑनलाइन व्यापार आदि हैं वहीं नकारात्मक प्रभावों में अपराध, नकली खबरों का प्रसार, अश्लील सामग्री की उपलब्धता आदि अनेक चिंतनीय प्रभाव हैं। क्षेत्र के तमाम अभिभावक और शिक्षक नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।
मोबाइल ने हमें कई सारी सुविधाएं एक जगह लाकर रख दी हैं। हमअपनी आदतों पर नियंत्रण न रख पाने की वजह से बहुत कुछ खो रहे हैं। सबसे अधिक नुकसान बच्चों को हो रहा है। उनमें याद करने की क्षमता कम होने के साथ साथ रचनात्मक सोच में भी कमी आ रही है।
तारा भट्ट शिक्षिका
स्मार्ट डिवाइस के अत्यधिक प्रयोग के कारण बच्चों में मानसिक व शारीरिक विकार पैदा हो रहे हैं। बच्चे तकनीक पर अधिक निर्भर होते जा रहे हैं। एक दिन के लिए भी इंटरनेट सेवा बंद हो जाए तो जिंदगी थम सी जाती है। युवाओं को सकारात्मक प्रभावों का लाभ लेना चाहिए।
गीतू पाण्डेय गृहणी,आरासलपड़
स्मार्ट फोन विजन सिंड्रोम बीमारी का मुख्य कारक मोबाइल फोन का अत्यधिक प्रयोग करना है। इससे उत्सर्जित होने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण नुकसानदायक होती हैं। स्मार्ट डिवाइस युवाओं में अवसाद और चिड़चिड़ापन पैदा कर रहे हैं। युवा सामाजिक न होकर अन्तर्मुखी स्वभाव की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
दिनेश भट्ट शिक्षक
विवरण: सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद गोपाल
मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रानिक गजेट्स के अत्यधिक उपयोग के चलते न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक विकार जन्म ले रहे हैं। छोटे परिवारों के युवा इनके दुरपयोग से ग्रसित हो रहे हैं। इलेक्ट्रानिक युक्तियों का प्रयोग हमारे जीवन को सरल और सुखमय बनाता जरूर है। ऐसे में मोबाइल आदि के प्रयोग को लेकर हमें संतुलित सोच अपनाने की आवश्यकता है।