धर्म-संस्कृति
शारदीय नवरात्रि 2025
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
भारत विविधताओं का देश है एक ऐसा महान देश है जहां पर तैतीस कोटि देवी देवताओं को पूजनीय माना जाता है। संपूर्ण सृष्टि ईश्वर की ही संरचना है। ईश्वर प्रदत्त प्रत्येक वस्तु पूजनीय है, ऐसी सदैव सनातन धर्म की धारणा रही है। ऐसे ही वर्ष भर अनेक पर्वों के रूप में हम ईश्वर के अनेक स्वरूपों को स्मरण कर उनकी पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा,अर्चना करते हैं और ईश्वर के प्रति आस्था को अपनी भावनाओं के द्वारा अभिव्यक्त करते हैं।
इसी क्रम में अश्विन माह शुक्ल पक्ष से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता है। शारदीय नवरात्र से शरद ऋतु का आगमन भी सनातन की वैज्ञानिकता दर्शाता है।
शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग–अलग स्वरूपों की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की जाती है।
(जिसके द्वारा हम स्त्री के सम्मान को भी दर्शाते हैं और स्त्री के भीतर उपस्थित मातृत्व से लेकर शक्ति रूप के दर्शन पाते है)
आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि कब से प्रारंभ हो रही है।
22 सितंबर 2025 दिन सोमवार से शरद नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं।
हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र का प्रारंभ होता हैं। जगत के कल्याण के लिए आदि शक्ति ने अपने तेज को नौ अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट किया, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्री के समय माँ दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों की उपासना का विधान है।
नवरात्रि पर विशेष योग
शारदीय नवरात्रि पर 26 सितंबर तथा 28 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग, रवि योग, शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है।
शरद नवरात्रि के प्रथम दिवस पर सोमवार होने के कारण देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा।
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥
धार्मिक मान्यतानुसार नवरात्र पर देवी दुर्गा यदि हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह भक्तों के लिए अच्छा संकेत है, इससे सुख समृद्धि में वृद्धि होगी, शांतिपूर्ण वातावरण रहेगा, फसलें अच्छी रहेंगी। चारों दिशाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। देवी दुर्गा का हाथी पर विचरण करना अत्यंत ही शुभ कारक रहेगा।
नवरात्रि तिथि व नौ देवियां
नवरात्रि पर तृतीया तिथि में वृद्धि होने के कारण नवरात्रि नौ दिनों की अपेक्षा दस दिनों तक रहेगी।
22 सितंबर 2025 प्रथम नवरात्र मां शैलपुत्री ।
23 सितंबर 2025 द्वितीय नवरात्र मां ब्रह्मचारिणी ।
24,25 सितंबर 2025 तृतीय नवरात्र मां चंद्रघंटा।
26 सितंबर 2025 चतुर्थ नवरात्र मां कुष्मांडा।
27 सितंबर 2025 पंचम नवरात्र मां स्कंदमाता।
28 सितंबर 2025 षष्ठी नवरात्र मां कात्यायनी ।
29 सितंबर 2025 सप्तम नवरात्र मां कालरात्रि।
30 सितंबर 2025 महादुर्गाष्टमी मां महागौरी को समर्पित।
1 अक्टूबर 2025 महानवमी तिथि मां सिद्धिदात्री ।
2 अक्टूबर 2025 विजयादशमी, (दशहरा), दुर्गा विसर्जन।
घट स्थापना शुभ मुहूर्त
22 सितंबर 2025 को प्रातः 06:09 से 08:06 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:49 से 12:38 मिनट तक।
कलश स्थापना विधि
नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के उपरांत सम्पूर्ण घर व पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कीजिए। घी या तिल के तेल से नौ दिनों तक अखंड ज्योत प्रज्वलित करें। तत्पश्चात चौकी पर लाल आसन बिछाएं व आसन के उपर थोड़े चावल रखें और एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें, कलश पर स्वास्तिक बनाएं। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर नौ आम के पत्ते रखें नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध लें। इस नारियल को कलश के ऊपर रखते हुए अब मां दुर्गा का ध्यान व आव्हान करें। प्रतिदिन पूर्ण श्रद्धा पूर्वक माता के नौ रूपों की उपासना करें। घी का दीपक जलाएं। भोग अर्पित करें।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
माता रानी हम सभी की मनोकानाएं पूर्ण करें।











