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स्याल्दे के पर्यावरण प्रेमी श्याम सिंह गुसाई हर संस्कार को पौंधा रोपण कर बनाते हैं यादगार। संस्कार वन अभियान के माध्यम से लगा चुके हैं 28 हजार पौंध

उत्तराखण्ड

स्याल्दे के पर्यावरण प्रेमी श्याम सिंह गुसाई हर संस्कार को पौंधा रोपण कर बनाते हैं यादगार। संस्कार वन अभियान के माध्यम से लगा चुके हैं 28 हजार पौंध



चौखुटिया (अल्मोड़ा)। उम्र ढलान पर होने और तमाम पारिवारिक झंझावतों के बावजूद ये पर्यावरण प्रेमी हर समय अपने संस्कार वन अभियान में जुटा रहता है। जी बात हो रही है तहसील स्याल्दे निवासी श्याम सिंह गुसाई की जो यादगार पौंधा रोपण अभियान चलाकर अब तक 28 हजार पौंधे रोप चुके हैं। वे जन्म से लेकर विवाह और फिर अंतिम संस्कार सहित सोलह संस्कारों व पर्वों पर पौंधा रोपण करते और करवाते हैं। इसके लिए बकायदा एक रजिस्टर बनाया गया है। जिसमें पौंधा रोपण का स्थान व तिथि आदि की पूरी जानकारी दी गई है।
स्याल्दे तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत मसगोली के जूनियाखेत निवासी श्याम सिंह गुसाई उस इलाके में एक ऐसा नाम है जो हर किसी की जुबान पर रहता है। गुसाई अपने जीवन के साठ बसंत देख चुके हैं उम्र ढलान पर है कई पारिवारिक जिम्मेदारियां है इस सब के बीच वे गांव, पड़ोस व निकटवर्ती क्षेत्रों में खास अवसरों पर पौंधा रोपण करना नही भुलते हैं। वे जन्म, नामकरण अन्नप्रासन, मुंडन, यज्ञोपवीत, संगाई, विवाह, बधु गृह प्रवेश, सालगिरह, जन्मदिन, सेवानिवृत्ति तिथि व अंतिम संस्कार सहित हर संस्कार व अन्य मौकों को यादगार बनाने के लिए पौंधा रोपण करते हैं।उनके द्वारा महापुरूषों की पुन्य तिथि व जन्म तिथि सहित राष्ट्रीय पर्व आदि में भी पौंधा रोपण किया जाता है।
पौंधा रोपण के उनके जुनून तथा कृषि व पौंधा रोपण में उनके अनुभव को देखते हुए संबंधित विभाग उन्हें प्रशिक्षण शिविरों में मास्टर ट्रेनर के रूप में बुलाते रहे हैं।
पौंधा रोपण में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कईबार प्रशस्ति पत्र आदि सम्मान मिल चुके हैं।
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इसलिए बनाया है रजिस्टर
श्याम सिंह गुसाई कहते हैं कि आम तौर पर देखा जाता है कि लोग पौंधा रोपण को लेकर हवाई दावे करते हैं। सुर्खियों में रहने की कोशिश करते हैं जबकि जमीन पर कुछ नही होता है। इसके उलट उन्होंने इन सब चीजों से बचते हुए एक रजिस्टर बनाया है। जिसमें पौंधा रोपण की तिथि, स्थान, पर्व, संस्कार व संबंधित व्यक्ति का नाम लिखा जाता है। उनके पास रोपे गए एक-एक पौंधे का हिसाब रहता है। वे पिछले बीस सालों से अभियान में लगे हैं। परंतु रजिस्टर में पौंधों का लेखा जोखा 2014 से रखना शुरू किया है।
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धरती का ऋण चुकाना चाहता हूं
श्यामसिंह गुसाई बताते हैं कि खेती व बागवानी सिकुड़ रही है बढ़ते कंकरीट के जंगलों ने दमघोटू ‌स्थिति पैदा कर दी है। जलवायु परिवर्तन ने भविष्य के खतरों की आहट दी है। इससे बचने और भावी पीढ़ी को बचाने के लिए पौंधा रोपण जरूरी है। बताया कि पहले उन्होंने सवा लाख पौंधे रोपने का लक्ष्य रखा था परंतु अब उनके साथ स्कूली छात्र भी जुड़ने लगे हैं इसलिए लक्ष्य बढा दिया है। कहा कि वे पौंधा रोपण कर धरती माता का ऋण चुकाना चाहते हैं।

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( चौखुटिया, अल्मोडा़ )

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