साहित्य-काव्य
कुमाउनी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के संकल्प के साथ पिथौरागढ़ में संपन्न हुआ 3 दिवसीय 15वां राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन।
नई पीढ़ी को कुमाउनी भाषा के साथ जोड़ने की जरूरत पर वक्ताओं ने रखे अपने विचार
- स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाना होगा कुमाउनी भाषा को*
पिथौरागढ़- 4, 5 और 6 नवंबर को पिथौरागढ़ आयोजित होने वाले में तीन दिवसीय 15वें राष्ट्रीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन का सफल समापन हुआ। देशभर से आए कुमाउनी भाषाप्रेमियों और साहित्यकारों ने इन तीन दिनों में भाषा के प्रचार – प्रसार और प्रभावशाली साहित्य रचने की जरूरत पर विचार विमर्श किया। वक्ताओं ने कहा कि शुरुआती कक्षाओं से उच्च शिक्षा तक कुमाउनी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने से ही भाषा को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
इन तीन दिनों में परिचर्चा, कवि सम्मेलन, पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह और पुस्तक प्रदर्शनी के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी हुई। यह कार्यक्रम उतराखंड भाषा संस्थान, कुमाउनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और पहरू कुमाउनी मासिक पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ।
भूमंडलीकरण के दौर में स्थानीय भाषा की चुनौतियां, भाषा को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न साधन, उपबोलियां, कुमाउनी साहित्य में जीवनमूल्य आदि विषयों पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार प्रभावी तरीके से रखी।
अंतिम दिन समापन सत्र में कुमाउनी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने और इसे सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की मांग उठाई गई और सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए। इन विषयों पर गंभीर प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। भूतपूर्व सांसद प्रदीप टम्टा भी समापन सत्र में शामिल हुए। एशियन युवा बॉक्सिंग चैंपियनशिप की पदक विजेता निकिता चंद, दीपा मेहता और काजल को भी इस मौके पर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ. अशोक पंत और पहरू कुमाउनी मासिक पत्रिका के संपादक डॉ. हयात सिंह रावत ने सभी अतिथियों, सहयोगियों और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया।