उत्तराखण्ड
कोर्ट ने रामनगर पुलिस को फिर से विवेचना की अनुमति दी।
पूजा पाठक। नैनीताल
नैनीताल:जिला न्यायालय नैनीताल में सुनवाई के दौरान अभूतपूर्व तौर पर रामनगर थाना पुलिस को एक मामले में फिर से जांच और दोबारा रिपोर्ट बनाने कर विवेचना करने की अनुमति दी हैं। दरअसल कुमाऊं के एकमात्र आवासीय मानसिक दिव्यांग विद्यालय रामनगर के यू एस आर इंदू समिति में में छात्र हर्षित परगांई के साथ मार-पीट के मामले में राज्य बनाम अनीता ध्यानी में जिला न्यायालय नैनीताल में जिला जज सुबीर कुमार की कोर्ट ने रामनगर के कोतवाल अरूण कुमार सैनी को सुनवाई के दौरान कोर्ट में प्रस्तुत होने को कहा था। आपको बता दें कि अनीता ध्यानी यू एस आर इंदू समिति में तत्कालीन समय काउंसलर के पद पर थी।
जिसके बाद कोर्ट में सुनवाई के दौरान वादिनी हेमा परगांई के अनुसार पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट में विवेचना में कमी, अधूरी विवेचना और सीसीटीवी और वीडियो साक्ष्य यू एस आर विद्यालय द्वारा पुलिस को नहीं दिए जाने की बात कोर्ट में कही गई थी। जिस पर सुनवाई में माननीय न्यायालय ने फिर से जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। दरअसल वादिनी हेमा परगांई के द्वारा माननीय न्यायालय को पैन ड्राइव और मोबाइल साक्ष्य आदि उपलब्ध करवाए गए हैं। जिसके संबंध में अग्रेत्तर विवेचना की जानी है। इस मामले में न्यायालय ने विवेचक को धारा 173(8) द०प्र०स० के अंतर्गत अग्रेत्तर विवेचना की अनुमति प्रदान की गई है।
वहीं छात्र हर्षित परगांई की माता और वादिनी हेमा परगांई ने कहा है कि यह मामला साफ तौर पर तत्कालीन विवेचना में पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी तहरीर में तत्कालीन अधीक्षक सहित समस्त स्टाफ पर शक व्यक्त किया था। लेकिन पुलिस ने सिर्फ अनीता ध्यानी को आरोपी बनाया। वहीं माननीय न्यायालय ने विवेचक को यथाशीघ्र विवेचना को न्यायालय में प्रस्तुत करने को कहा है।
इस पूरे मामले की मजबूत पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा कर रहे हैं।
यह प्रकरण तत्कालीन समय स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में रहा था।
आपको बता दें कि यू एस आर इंदू समिति लंबे समय से विवादों में चल रही है, जहां वर्ष 2022 में एक अनाथ बच्चे की गुमशुदगी का मामला माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में लंबित है। इसके साथ ही वर्ष 2023 में अपने एक कर्मचारी के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर और मार-पीट करने का मामला संस्था के प्रबंधक संदीप रावत और उसके साथियों पर है, जो जिला न्यायालय में विचाराधीन है।