उत्तराखण्ड
क्राफ्ट कला के हुनर से कमाल कर रही हैं द्वाराहाट की मंजू साह। पिरूल व पुराने अखबार से बनाती है सजावटी सामान
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। कला के विविध रूपों को समेटे द्वाराहाट निवासी मंजू आर साह विभिन्न जिम्मेदारियों की व्यस्तता के बावजूद अपनी क्राफ्ट कला के हुनर से कमाल कर रही हैं। पिरूल से सौंदर्य प्रशाधन सहित कई घरेलु सामान बनाती हैं। पुराने अखबार को रद्दी समझने वालों को भी उन्होंने अपनी कला से आईना दिखाने का काम किया है। वे ऑन लाईन व आफ लाईन प्रशिक्षण के साथ ही पर्यावरण के लिए भी कार्य कर रही हैं। महिला समूहों को प्रशिक्षण देने को विभिन्न स्थानों पर जाती रही हैं। उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
बागेश्वर के अर्सों (कपकोट ) में पिता किशन सिंह व माता देवकी रौतेला के घर जन्मी द्वाराहाट निवासी मंजू आर साह जीजीआईसी ताड़ीखेत में प्रयोगशाला सहायक के पद पर कार्यरत हैं। पति गोपेश्वर में व्यवसाय करते हैं। एक छोटा बच्चा भी है। तमाम जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे होने के बावजूद वे अपना शेष बचा समय पूरी तरह से क्राफ्ट कला में लगाती हैं। वे पिरूल से सौंदर्य प्रशाधन, राखियां, अंगूठी, झूमके, टोकरी, सजावटी सामान के साथ ही गोबर के दीए बनाती हैं। बताती हैं कि उन्होंने यह कला अपनी मौसेरी बहिन पूजा बिष्ट से सीखी।
वे 2011 से क्राप्ट कला पर काम कर रही हैं l हालांकि स्कूल के लिए कच्ची सड़क बनी है पर वे पैदल ही जाती हैं जो शार्टकट रास्ते से एक किमी होता है इस दौरान वे बीच मे पड़ने वाले जंगल से पिरूल उठा लाती हैं l
इसके अलावा पुराने अखबरों से भी वे कई तरह का सजावटी समान बनाती हैं। वे महिलाओं को क्राप्ट कला का ऑनलाइन व आफ लाइन प्रशिक्षण देती रहती हैं। उनसे प्रशिक्षण प्राप्त कई महिलाएं राखी त्यौहार पर राखी बनाने की तैयारी कर रही हैं।
मिले कई पुरस्कार
कोलकाता में इंडियन इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में बैस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट्स पुरस्कार, शून्य निवेश नवाचार प्रशस्ति पत्र, लोक वाद्य प्रस्तुतिकरण हस्तशिल्प द्वारा सम्मान पत्र आदि पुरस्कार मिले। विज्ञान प्रतियोगित में अपशिष्ट प्रबंधन पर जिले से लेकर राज्य स्तर तक प्रतिभाग कर पुरस्कार हासिल किए। जंगलों को आग से बचाने के लिए केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में 25 ग्राम पंचायतों की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। पर्यावरण व जल संरक्षण में भी उनकी बड़ी रूचि है।
अपने राज्य में नही मिलता सम्मान
हरफनमौला कलाकार मंजू आर साह का कहना है कि वे इस बात से दुखी हैं कि अपने राज्य में कलाकारों को अपेक्षित सम्मान नही मिल पाता है। बाहरी राज्यो के लोग क्राप्ट कला के बड़े मुरीद हैं बाहरी राज्यों से बुलावा आते रहता है। परंतु उत्तराखंड में वैसी पूछ नही है। बताती हैं कि उन्हें पुरानी चीजों को सहेजने का भी शौक है। इस तरह की कई चीजें उन्होंने रखी हैं।