उत्तराखण्ड
बिटिया को अंतिम विदाई देने घाट तक पहुंचे बुजुर्ग पिता, भाई ने दी चिता को अग्नि।
हेम कांडपाल–
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। जमी रो रही थी, आसमा रो रहा था, बदहोश माँ थी पिता रो रहा था— रानीखेत में सोमवार सुबह साढ़े दस बजे पोस्टमार्टम के बाद सरिता का शव परिजनो को सौंपा गया। परिजन सरिता का शव लेकर गांव पहुंचे। रिश्ते के जीजा मुकेश सिंह ने बताया कि शाम पांच बजे सरिता के बड़े भाई राजेंद्र सिंह ने जैसी ही अपनी छोटी बहन की चिता को अग्नि दी मौके पर मौजूद लोगों की अश्रुधार निकल पड़े। साठ साल के बजुर्ग पिता रामभरोसे भी अपनी बिटिया को अंतिम विदाई देने अंजनियां गांव के कैलाश नदी पर बने शमशान घाट तक पहुंचे। उन्होंने लड़खड़ाते कदमों के साथ श्रृद्वांजलि अर्पित की तो एक बारगी कैलाश नदी के जल प्रवाह में भी ठहराव सा आ गया । इस दौरान लाडली के वियोग में डूबी, रोती विलखती मां बददल देवी बदहोश पड़ी रही। लोग उन्हें ढांढस बधाने का प्रयास कर रहे थे परंतु जिगर के टुकड़े के बिछोह में डूबी मां को जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था वह शून्य में तांकती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी l
जीजा ने उठाया था पढ़ाई का खर्च।
सरिता के रिश्ते के जीजा मुकेश सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं। सरिता के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब होने के चलते उन्होंने ही सरिता की पढ़ाई आदि का खर्च उठाया। मुकेश सिंह ने बताया कि उन्होंने ही चंद रोज पहले सरिता के लिए नई स्कूटी खरीदी थी। सभी परिजन सरिता की नियुक्ति के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद लगाए बैठे थे।
कार्यभार ग्रहण करने के दौरान प्रफुल्लित थी सरिता
चौखुटिया(अल्मोड़ा)। चौखुटिया के ग्राम पंचायत चिनौनी अंतर्गत शक्लें में हादसे का शिकार हुई सितारगंज निवासी शिक्षिका सरिता राणा एक सप्ताह पूर्व कार्यभार ग्रहण करने के दौरान काफी उत्साहित व खुश थी। बीईओ भारत जोशी ने बताया कि पहाड़ में सेवा को लेकर भी उसमें काफी उत्सुकता थी। उसने बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए कई सपने बूने थे जो उसकी मौत के साथ ही स्वाहा हो गए।