हल्द्वानी
हल्द्वानी नगर निगम व हल्द्वानी प्रशासन सरकारी और नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के नाम पर सांप्रदायिक व्यवहार कर रहे हैं।
हल्द्वानी- प्रशासनिक अधिकारियों और नगर निगम के अधिकारी इस अभियान के दौरान जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं उससे लग ही नहीं रहा कि वे भारत के संविधान और कानून के प्रति जवाबदेह हैं। उनके बयानों को सुनकर ऐसा महसूस होता है कि वे किसी पार्टी विशेष के प्रति जिम्मेदार हैं।
नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए केवल अल्पसंख्यक बहुल इलाके को बहुत सचेत तरीके से चुना गया है जबकि हल्द्वानी का अधिकांश हिस्सा नजूल भूमि पर है। इससे प्रशासन की मंशा और कार्यवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस प्रशासन का काम सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने वाला होना चाहिए वह प्रशासन विभाजन को बढ़ावा देने का काम कर रहा है, यह बेहद चिंताजनक और शर्मनाक स्थिति है। सरकार और प्रशासन को सबको सैद्धांतिक तौर पर बराबर मानना चाहिए और व्यवहार में ऐसा करते हुए दिखना भी चाहिए तभी संविधान में उल्लिखित समानता, बंधुता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।