उत्तराखण्ड
उपनयन संस्कार का बताया महत्व,,,,, ( डॉ अशोक पाण्डेय )
अयोध्या के सुप्रसिद्ध गुरुकुल विप्र संजीवनीपरिषद गुरुकुल में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का कार्यक्रम आज
विप्र संजीवनी परिषद गुरुकुल अयोध्या के संस्थापक डॉ अशोक पाण्डेय के नेतृत्व में एवं श्री शुभम पांडेय के आचार्यत्व में बहुत ही धूम धाम से मनाया गया । इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से एवं अन्य प्रदेशों के लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उपस्थित हुए ।डॉ अशोक पाण्डेय ने अनेकों ब्राह्मण बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार कराते हुए उन बालकों को दीक्षा मंत्र से दीक्षित भी किया ।डॉ अशोक जी ने बताया की सनातन धर्म में उपनयन संस्कार का बहुत ही अधिक महत्त्व है बिना संस्कार के कोई भी द्विज नहीं कहलाता ।संस्कार विहीन व्यक्ति ही शूद्र है ।इसलिये द्विज बनने के लिए संस्कार होना ही चाहिए ।डॉ अशोक जी महाराज ने कहा की आज कल लोग यज्ञोपवीत को खूटी पर टांग देते हैं ।तिलक और शिखा से विहीन होते जा रहे है ।यह सनातन धर्म के लिए बहुत ही लज्जा की बात है ।उन्होंने कहा कि विप्र संजीवनी परिषद गुरुकुल प्रत्येक वर्ष अनेकों बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार निशुल्क करवाता आ रहा है ।हिंदू धर्म में बारह वर्ष के अंदर ही बालको का यज्ञोपवीत संस्कार कर देना चाहिए ।डॉ अशोक जी महाराज ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यता है कि बिना यज्ञोपवीत संस्कार और दीक्षा के किसी भी व्यक्ति का कोई भी धार्मिक कार्य या मंत्र जप अनुष्ठान का फल नहीं मिल पाता है ।डॉ अशोक जी महराज ने कहा की प्राचीन समय में यज्ञोपवीत संस्कार के उपरांत ही बालको का गुरुकुल प्रवेश होता था ।बिना उपनयन संस्कार के कोई भी वेद और शास्त्र पढ़ने का अधिकारी नहीं बन सकता था ।आजकल लोग अपने बच्चों का संस्कार बीस वर्ष के बाद कराते है जिनका कोई महत्व नहीं है ।उन्होंने कहा कि संस्कार विहीन व्यक्ति की यदि मृत्यु हो जाए तो वह सीधे प्रेत योनि में जाकर हजारों वर्ष कष्ट सहता है और पतन को प्राप्त होता है ।उन्होंने कहा कि संस्कार विहीन व्यक्ति को वेद भी पवित्र नहीं कर सकता । आज प्रात: काल बटुकों के अभिभावक शिवधाम में शिव आराधना एवं वेदीपूजन किया ।इसके बाद बटुकों का मुंडन संस्कार कर्णवेधन संस्कार करते हुए विधिवत यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न कराया गया ।और सभी बटुकों को मंत्र दीक्षा भी दी गई ।










