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गैरसैंण राजधानी का मुद्दा उलझाए रखने से दुखी थे दिवंगत पाठक। आज सुबह हरीश ने लीअस्पताल में अंतिम सांस।

उत्तराखण्ड

गैरसैंण राजधानी का मुद्दा उलझाए रखने से दुखी थे दिवंगत पाठक। आज सुबह हरीश ने लीअस्पताल में अंतिम सांस।


उत्तराखंड के हितलाभों को लेकर निरन्तर संघर्षरत रहे उत्तराखंड
क्रांतिदल के दिवंगत नेता हरीश पाठक का यूं ही चुपचाप चला जाना हर किसी को स्तब्ध कर गया है l वे महज 57 साल के थे , शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाने की दिशा में उन्हें लंबी पारी खेलनी थी, परन्तु काल के क्रूर हाथों ने उन्हें असमय ही हमसे विमुख कर दिया l
वे गैरसैंण राजधानी के प्रबल समर्थक रहे हैं l
राज्य बनने के बाद उत्तराखंड शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य न बन पाने व राज्य बनने के बाद बनी सरकारों द्वारा गैरसैंण स्थायी राजधानी का मामला उलझाए रखने से वे बहुत दुखी व व्यथित बताए जाते थे l उन्होंने लंबी बीमारी के बाद आज 7 अगस्त को सुबह 6.40 पर कैलाश अस्पताल में अंतिम सांस ली l
उनकी पत्नी स्वास्थ्य निदेशालय देहरादून में प्रशासनिक अधिकारी हैं l बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जबकि बेटी ने इसी साल इंटर किया है l
उनके निधन पर सभी दलों व संगठनों के लोगो ने व “प्रतिपक्ष संवाद” परिवार ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है l

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( चौखुटिया, अल्मोडा़ )

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