उत्तराखण्ड
भीषण आग से गहराया संकट पहाड़ो की आबोहवा हुई खराब।
देहरादून- आज कल भीषण गर्मी से देश के कई राज्य बेहाल हैं। यहां तक की पहाड़ो में भी तपती धूप लोगों के पसीने छूटा रही है। इस बीच बिजली पानी के संकट से दो चार होते हुए पहाड़वासियों के लिए अब जंगलों की आग कोड़ में खाज का काम कर रही है। कई जंगल आग में जल कर खाक हो चुके हैं जिससे पहाड़ में रहने वाले लोगों का और जंगली जानवरों का हाल बेहाल है। कभी स्वच्छ और राहत देने वाली पहाड़ की आबोहवा आज दूषित होती जा रही है। जगलों में आग लगने की वजह से ब्लैक कार्बन की मात्रा बढ़ रही है। खतरे की इस घंटी को अगर अब भी अनसूना किया तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। सामान्य दिनों की बात की जाए तो अलकनंदा घाटी में ब्लैक कार्बन की मात्रा 1000 से 2000 नैनोग्राम प्रति घन मीटर रहता है। लेकिन अब ये आंकड़ा 13250 पहुंच गया है। इस आंकड़े से ही आप समझ सकते हैं कि आने वाली भीषण गर्मी के साथ कितना बड़ा खतरा हमारा इंतेज़ार कर रहा है। इसके बावजूद वनाग्नि को रोकने लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
बता दें कि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ब्लैक कार्बन में बढ़ोतरी के लिए सबसे अधिक जंगलों की आग ज़िम्मेदार है। यह भविष्य के लिए ठीक नहीं है। पिछले साल इसी दिन ब्लैक कार्बन 2992.15 नैनो प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था। पिछले साल जंगलों की आग की घटनाएं कम हुई। इसलिए ब्लैक कार्बन का स्तर भी नीचे रहा था। ब्लैक कार्बन के ज्यादा उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन की घटनाएं सामने आएंगी।इससे जैव विविधता नष्ट हो रही है। ग्लेशियर जब पिघलेंगे तो इस पर जमा ब्लैक कार्बन पानी के साथ बहेगा। इससे पानी प्रदूषित हो जाएगा।