Connect with us

तुगलकी फरमान है सात साल में दूसरी बार नोट बंदी करना– पूर्व में हुई नोट बंदी से कितना भ्रष्टाचार समाप्त हुआ इस बात का खुलासा करे सरकार।

जन मुद्दे

तुगलकी फरमान है सात साल में दूसरी बार नोट बंदी करना– पूर्व में हुई नोट बंदी से कितना भ्रष्टाचार समाप्त हुआ इस बात का खुलासा करे सरकार।

गणेश पाण्डेय, दन्यां:

रिजर्व बैंक द्वारा दो हजार के नोट बंद करने के निर्णय पर कई लोग अचंभित हैं। सात साल के अन्तराल में दूसरी बार नोट बंदी की घोषणा को अनेक लोगाें ने तुगलगी फरमान बताया है। अधिकांश लोगों का कहना है कि यदि दो हजार के नोट बंद ही करने थे तो वर्ष 2016 में इनको प्रचलन में लाया ही क्यों गया। आम जनता के पास भले ही दो हजार के नोट काफी कम संख्या में होंगे फिर भी बैंकों में कतार लगाने को विवश तो होना ही पड़ेगा। रिजर्व बैंक के हालिया फरमान को लेकर दन्यां क्षेत्र के लोगों के विचार—

—– योगेंद्र रावत, प्रधानाध्यापक राजकीय जूहा बागपाली

नोट बंदी करना सरकार के अधिकार क्षेत्र की बात है। आठ नवंबर 2016 को की गई नोट बंदी की घोषणा के बाद कितना भ्रष्टाचार समाप्त हुआ और अब हो रही नोट बंदी से कितना काला धन उजागर होगा इस बात के वास्तविक आंकड़े केंद्र सरकार को आम जनता को बताने चाहिए।

— इं. गाेविंद गोपाल, ग्राम मुनौली

दो हजार के नोट प्रचलन में बंद हो जाने से आम जनता को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। उनकी पहुंच से ये नोट ठीक वैसे ही गायब हो गए हैं जैसे बेरोजगारों से जॉब। जिन लोगों ने दो हजार के नोटों का पिछले सात सालों में संग्रह किया है उनके लिए रिजर्व बैंक का यह फरमान सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं है।

—- बिशन सिंह गैड़ा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ध्याड़ी

सरकार द्वारा दो हजार के नोट बंद करने के निर्णय से फायदा कम नुकसान अधिक होने का अनुमान है। आम जनमानस को एक बार फिर फजीहत झेलनी पड़ेगी। दो हजार के नोट प्रचलन में लाने से काला धन उजागर होने के बजाय और अधिक जमा हुआ है। आनन फानन में निर्णय लेना सरकार की अपरिपक्व सोच को दर्शाता है।

दीवान सिंह बिष्ट, पूर्व उद्यान अधिकारी दन्यां।

आठ नवंबर 2016 को हुई नोट बंदी की मार से लोग अभी उबर नहीं पाए हैं। सात साल के भीतर केंद्र सरकार द्वारा दो हजार के नोट बंद करने की घोषणा करना मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा किए गए हास्यास्पद निर्णयों की याद दिला रहा है। बिना बिचारे की गई प्रधानमंत्री की घोषणा का ही परिणाम है कि इन सात सालों में दो हजार के लगभग नब्बे प्रतिशत नोट प्रचलन में नदारद हो गए।

Ad Ad

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

More in जन मुद्दे

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page