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एमिटी स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज द्वारा लिटरेचर पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित

शनि केशरवानी

एमिटी स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज द्वारा लिटरेचर पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित

प्रयागराज – नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड प्राप्त एमिटी स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान में एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज द्वारा “रीविसिटिंग हिस्ट्री, एथिनिसिटी एंड मिथ इन लिटरेचर विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया।

कांफ्रेंस की शुरुआत प्रोफेसर (डॉ.) अमित जैन, माननीय कुलपति, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के स्वागत भाषण से हुई। प्रो.जैन ने कहा, “सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों में ज्ञान का आदान-प्रदान करना है; इसमें स्थानीय और वैश्विक दोनों दृष्टिकोण शामिल हैं | ” प्रो. जी.के. असेरी माननीय प्रो वाइस चांसलर एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान ने कांफ्रेंस के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए सराहना करते हुए कहा कि इस तरह का आयोजन विद्यार्थियों में नयी उर्जा का संचार करता हैं |

कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि डॉ. डेविड फ्रॉले, ज्योतिषी और अमेरिकी लेखक, संस्थापक, अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज सांता फे, न्यू मैक्सिको, राजस्थान की सांस्कृतिक एम्बेसडर सुश्री तृप्ति पांडे और लेखिका सुश्री धर्मेंद्र कंवर की गरिमामयी उपस्थिति रही |

दो दिवसीय कांफ्रेंस में प्रोफेसर मधु किश्वर, चेयर प्रोफेसर, आईसीएसएसआर, नई दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो से प्रोफेसर जोनाथन लॉकहार्ट, प्रोफेसर हेमेंद्र चंडालिया, डीन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय, जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर, से प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया, आगरा कॉलेज, आगरा से निबिर घोष, डॉ. सिन्यूय गेराल्डिन, कयाउंड विश्वविद्यालय, कैमरून मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे |

मुख्य वक्ताओं के संबोधन ने संस्कृति, विरासत, कहानी कहने, मिथक, साहित्य और इतिहास की जटिल परस्पर क्रिया पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। इसके अलावा इतिहास, जातीयता और पौराणिक कथाओं के साथ साहित्य के संबंध पर चर्चा हुई |

कांफ्रेंस की निदेशक और संयोजक प्रोफेसर (डॉ.) दीपा चक्रवर्ती, हेड, एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज (एएसएल) एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान ने कहा कि दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और अनुसंधान विद्वानों को आदान-प्रदान के लिए एक साथ लाना है तथा साहित्य में इतिहास, जातीयता और मिथक के विभिन्न पहलुओं पर अपने अनुभव और शोध साझा करना हैं । प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा कि दुनिया भर से 130 से अधिक पेपर प्रस्तुत किए गए।

प्रो. पारुल मिश्रा, डॉ. गूंजा पाटनी, डॉ. श्रेया दत्ता, सुश्री निमिषा जोशी तथा डॉ. मनोज कुमार ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया |

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