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अंततः संशय के बादल छठे, हुआ एक राष्ट्र , एक धर्म, एक पर्व का निर्णय 20 अक्टूबर 2025 को ही संपूर्ण राष्ट्र में मनाया जाएगा दीपोत्सव

धर्म-संस्कृति

अंततः संशय के बादल छठे, हुआ एक राष्ट्र , एक धर्म, एक पर्व का निर्णय 20 अक्टूबर 2025 को ही संपूर्ण राष्ट्र में मनाया जाएगा दीपोत्सव



दीपावली पर्व निर्धारण पर विद्वत् सभा द्वारा गूगल मीट के माध्यम से भारत के सुप्रसिद्ध मूर्धन्य विद्वानों के मध्य सम्मेलन हुआ जिसमें सभी विद्वानों ने एक मत होकर एक राष्ट्र एक पर्व पर अपनी सहमति व्यक्त की जिसके आधार पर 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को ही दीपोत्सव मनाए जाने पर शास्त्रीय प्रमाण के साथ स्वीकार किया।

इस बैठक में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े धर्मज्ञ गुरुजनों, ज्योतिषाचार्यों एवं पंचांगकारों ने शास्त्रीय प्रमाण के साथ अपने विचार व्यक्त किए ,सभा में इस वर्ष दीपावली 20 अथवा 21 अक्टूबर को मनाए जाने को लेकर विस्तृत एवं गहन विमर्श हुआ।

मुख्य वक्तव्य एवं निर्णय
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर एवं काशी विद्वत् परिषद के संगठन मंत्री डॉ. विनय पाण्डेय ने स्पष्ट किया कि कुछ पंचांगकारों ने शास्त्रों की व्याख्या को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। शास्त्रसम्मत निर्णय यही है कि 20 अक्टूबर को ही दीपावली मान्य है, क्योंकि इस दिन सम्पूर्ण प्रदोषकाल एवं निषाकाल उपलब्ध है, अतः किसी प्रकार का सिद्धांतभेद शेष नहीं रहता।

बुद्धिबल्लभ पंचांग के सम्पादक आचार्य पवन पाठक ने उत्तराखंड की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि परंपरागत सूर्यसिद्धांत के आधार पर पंचांग निर्माण होता तो सभी पंचांगकार एक ही मत पर होते।

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल (हरियाणा) के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. नरेश शर्मा ने भी 20 अक्टूबर का समर्थन करते हुए कहा कि सभी प्राचीन ग्रंथ सूर्यसिद्धांत पर आधारित हैं, अतः धर्मशास्त्रीय दृष्टि से यही तिथि मान्य है।

काशी के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं पंचांगकार डॉ. अमित मिश्र जी ने कहा कि पारंपरिक सिद्धांतों से विमुख होकर कार्य करने वाले शास्त्रानुसार दोष के भागी बनते हैं और बृहम्हत्या समान दोष लगता है।
उत्तराखंड पर्व निर्णय सभा के अध्यक्ष डॉ. जगदीश भट्ट ने “एक राष्ट्र — एक पर्व” का आह्वान करते हुए भारत सरकार द्वारा घोषित 20 अक्टूबर को ही अंतिम निर्णय मानने का आग्रह किया।

राजस्थान से आए संस्कृत विद्वान डॉ. कौशल शर्मा ने भी अनेक प्रमाणों सहित 20 अक्टूबर के निर्णय का समर्थन किया।
उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य रमेश सेमवाल जी ने संपूर्ण उत्तराखंड में दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाए जाने की घोषणा की और जनसामान्य को समय से पूर्व सूचित करने का अनुरोध किया।

पर्व सभा के महासचिव नवीन जोशी ने बैठक का संचालन करते हुए 20 अक्टूबर के निर्णय का समर्थन किया।

डॉ. मंजू जोशी ने भी “एक राष्ट्र — एक पर्व” के संकल्प साथ ही, 21 अक्टूबर 2025 को प्रदोष काल में तीन मुहूर्त अमावस्या तिथि पर्याप्त न होने पर, 20 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व मनाने की बात कही।

सुप्रसिद्ध कथा वाचक डॉ मनोज पांडे जी ने भी सूक्ष्म शब्दों में ‘एक राष्ट्र एक धर्म’ एक पर्व की बात को बढ़ावा देते हुए शास्त्रीय प्रमाण के साथ 20 अक्टूबर 2025 को ही दीपावली पर्व मनाने की बात पर सहमति व्यक्त की।

इसके अतिरिक्त दिल्ली पुजारी संघ के अध्यक्ष आचार्य गिरधारी लाल जी ने 20 अक्टूबर 2025 की सम्मिति बतायी।

निष्कर्ष
सभी विद्वानों जनों एवं संस्थाओं की सर्वसम्मति से एक राष्ट्र, एक धर्म ,एक पर्व के संकल्प को दोहराते हुए, सनातन धर्म की एकरूपता हेतु शास्त्र संबंध विधि से 20 अक्टूबर 2025 को ही महालक्ष्मी पूजन करने का निर्णय लिया। पूरे देश में 20 अक्टूबर 2025 को ही दीपोत्सव पर्व मनाया जाएगा।
‘धर्मो रक्षति रक्षितः’

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