उत्तराखण्ड
सरकार नहीं ले रही अतिथि शिक्षकों की सुध हो रहे बेरोजगार।
दैनिक प्रतिपक्ष संवाद गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल – उत्तराखण्ड सरकार भले ही विगत आठ वर्षों से प्रदेश के दुर्गम एवं अतिदुर्गम राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में अति अल्प मानदेय पर अतिथि शिक्षकों के कार्य ले रही थी किन्तु आज इन रोजगार विहीन शिक्षकों की सुध सरकार नहीं ले रही है। विदित है कि 1400 से अधिक सहायक अध्यापक भर्ती के आने से प्रदेश के अनेक अतिथि शिक्षक अपना रोजगार खोकर घर में बैठने को मजबूर हो गए हैं। प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत जी के द्वारा अतिथि शिक्षकों को विगत 3 माह पूर्व अनेक आश्वासन दिये गये किन्तु उसके बाद भी आज इन शिक्षकों के पास कोई रोजगार का साधन शेष नहीं रह गया है। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षक अवसाद की स्थिति में आ गये हैं। वहीं पिथौड़ागढ़ के एक शिक्षक हार्ट अटैक से मृत्यु भी हो चुकी है जिसका विभाग अथवा सरकार के द्वारा संज्ञान भी नहीं लिया गया। ऐसी स्थिति में अब ये शिक्षक रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। बेरोजगार होने वाले अल्मोड़ा से अतिथि शिक्षक ममता पटवाल, ममता बलोदी, जितेन्द्र कुमार, प्रवीन्द्र नाथ गोस्वामी, कविता रानी, नरेश राम, सुनीता, कविता रानी, यशपाल राणा, इन्द्र बाल, गौरव सुयाल, तनुजा जोशी, कस्तुरवा टम्टा मीना आर्या, बागेश्वर में सुनील मिश्रा, सतीश सिंह,खीम सिंह दानु पूनम कपकोटी तथा पिथौड़ागढ़ में अनिल कपूर, हरीश वर्मा, मनीष मल्ल, जितेन्द्र सिंह बिष्ट, दीपक सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह, नीलम भण्डारी, पूरन सिंह तथा राजेश धामी आदि कई अतिथि शिक्षक शामिल हैं।
प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक भट्ट ने बाहर होने वाले अतिथि शिक्षकों के लिए चिंता व्यक्त की है।