उत्तराखण्ड
एम एड व अन्य नए पाठ्यक्रम शुरू करने को लेकर यू जी सी और आर सी आई के अधिकारियों से मिले यू ओ यू के कुलपति।
हल्द्वानी:विश्वविद्यालय में अकादमिक स्तर को कैसा बढ़ाया जाय, कैसे नए जरूरतमंद कार्यक्रम विश्वविद्यालय में चलाये जाएँ, तथा विशिष्ट शिक्षा में स्नात्तकोत्तर डिग्री एम एड और सांकेतिक भाषा में प्रमाणपत्र कार्यक्रम शुरू करने की मांग को लेकर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. एस. नेगी गुरुवार को पहले भारतीय पुनर्वास परिषद के चेयरमेन प्रो. सरणजीत कौर से मिले जहां से प्रो. नेगी को इन कार्यक्रम को जल्दी शुरू करने की मान्यता का आश्वासन मिला। इसके बाद विश्वविद्यालय को 12 ‘बी’ लाने के लिए तथा अन्य कई ऐसे प्रकरण जो विश्वविद्यालय के यू जी सी में लंबित हैं उन्हें लेकर कुलपति ने यू जी सी, डेब (दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो) के नवनियुक्त सयुंक्त सचिव डॉ. मधुकर मारुती से मुलाक़ात की तथा उन्हें कार्यभार ग्रहण करने पर बधाई भी दी।
विश्वविद्यालय में 12 ‘बी’ के लिए जल्दी विजिट करेगी यूजी सी की टीम।
सयुंक्त सचिव ने भी प्रो. नेगी को आश्वासन दिया कि यूजीसी में विश्वविद्यालय के सभी लंबित प्रकरणों का जल्दी समाधान किया जायेगा तथा 12 ‘बी ‘ के लिए यूजी सी की टीम जल्दी विश्वविद्यालय में जाएगी।
विशिष्ट शिक्षा में एम एड और सांकेतिक भाषा में प्रमाणपत्र के लिए आर सी आई ने दिया कुलपति को आश्वासन।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ पी एस नेगी ने अपने कार्यकाल में जहां विश्वविद्यालय में मानव संसाधन से लेकर भौतिक संशाधनो को बढ़ाने में बेहतरीन कार्य किया है वहीँ उन्होंने विश्वविद्यालय की अकादमिक स्तर को बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इसके लिए प्रो. नेगी ने विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन,परीक्षा भवन, बहुउद्देश्य भवन, अतिथि भवन, पुस्तक वितरण भवन व कर्मचारी अधिकारियों के आवासीय भावनो के अलावा कई निर्माण कार्य करवाए से लेकर जहाँ एक समय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी )ने विश्वविद्यालय के अधिकतम कोर्स बंद कर दिए थे वहीँ प्रो. ओ. पी. एस. नेगी के कार्यभार संभालते ही उनके द्वारा यू जी सी से सभी कोर्स दोबारा लाये गए। दूसरी तरफ भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा विशिष्ट शिक्षा में कई कार्यक्रम उनके द्वारा लाये गए। यू जी सी द्वारा भी कई नए कार्यक्रम विश्वविद्यालय में खोले गए। इस अवसर पर उनके साथ विश्वविद्यालय के विशिष्ट शिक्षा के सहायक प्राध्यापक सिद्धार्थ पोखरियाल भी मौजूद रहे।