धर्म-संस्कृति
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती, इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य मंजु जोशी
30 अप्रैल 2022 को वर्ष का प्रथम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण है जिसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह सूर्य ग्रहण सूर्य देव की उच्च राशि मेष राशि एवं भरणी नक्षत्र में लगेगा। क्योंकि ग्रहण का समय रात्रि में प्रारंभ हो रहा है इसलिए भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा ना ही सूतक काल रहेगा।
शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण होने से कई नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। कई ज्योतिषियों का कहना होता है कि भारत में यदि सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा तो इसका प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं होगा। परंतु मेरा दृष्टिकोण अलग है यदि तारामंडल में कोई घटना घटित होती है तो उसका प्रभाव संपूर्ण ब्रह्मांड एवं प्राणियों,प्रकृति पर अवश्य पड़ेगा। इस कारण इस सूर्य ग्रहण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव आपको देखने को मिलेंगे।
सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करते हैं।
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती, इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
यह सूर्य ग्रहण केवल दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों जैसे अर्जेंटीना, चिली, पेराग्वे आदि में दिखाई देगा।
ग्रहण का समय
वर्ष का प्रथम सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल 2022 रात्रि 12 बजकर 15 मिनट से और 1 मई2022 सुबह 04 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
ग्रहण के प्रभाव
सूर्य ग्रहण से देश दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा जैसे यूक्रेन और रशिया के बीच बड़ी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। वैश्विक युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, भीषण गर्मी का प्रचंड प्रकोप देखने को मिलेगा। वैश्विक महामारी बढ़ सकती हैं।
सूर्य ग्रहण पर उपाय
जैसे कि बताया गया है कि भारत में सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं है परंतु जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है सूर्योदय राहु एवं केतु (सूर्य+ राहु सूर्य+ केतु) से पीड़ित है ऐसे जातकों को सूर्य ग्रहण के उपरांत स्नान दान अवश्य करें। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अत्यधिक शुभ फल कारक रहेगा। सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने हेतु लाल वस्तुओं का दान करें लाल वस्त्र, गेहूं, मसूर, तांबे का पात्र, स्वर्ण प्रतिमा, लाल फल, लाल पुष्प, तिल का तेल, नारियल, दक्षिणा इत्यादि।
जिन जातकों का जन्म मेष राशि भरणी नक्षत्र में हुआ है उन सभी को सूर्य ग्रहण के उपरांत प्रातकाल गंगाजल से स्नान कर अन्य वस्त्र दान अवश्य करना चाहिए।