उत्तराखण्ड
ये क्या–अटल उत्कृष्ट बनाने पर भी पलायन।जीजीआईसी के लिए मुसीबत बना सीबीएसई बोर्ड पचास प्रतिशत से भी कम रह गई छात्राओं की संख्या।
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। जब उत्तराखंड बोर्ड के तहत पढ़ाई हो रही थी तो छात्रओं में उत्साह था l दो साल पहले तक ब्लाक के सबसे अधिक छात्राओं की संख्या वाले इस स्कूल में छात्राओं की संख्या पचास प्रतिशत से भी कम रह गई है। हालत यह है कि विद्यालय से पलायन जारी है। जिसके चलते स्कूल प्रशासन व शिक्षिकांए हताश हैं।
सरकार ने हर ब्लाक में एक से दो स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता दिलाकर उन्हें अटल उत्कृष्ट नाम देकर शिक्षा का स्तर सुधारने की दिशा में कदम तो बढ़ाया परंतु दुरस्थ क्षेत्रों में आ रही दिक्कतों को कभी समझने व जानने की कोशिश नही की। जिसका परिणाम जीजीआईसी के हालातों को देखकर स्पष्ट हो रहा है। पढ़ाई व अनुशासन के लिहाज से ब्लाक के सबसे अच्छे विद्यालयो में सुमार स्कूल की हालत यह हो गई है कि अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूल में प्रवेश को मजबूर हो गए हैं। यह बहुत दुखत स्थिति है कि इस विद्यालय में प्रवेश को लालायती रहने वाली छात्राएं अब इससे दूर हो रही हैं जो भविष्य के लिहाज से भी चिंता का विषय है।
अटल उत्कृष्ट जीजीआईसी चौखुटिया में 2020 यूके बोर्ड था और छात्राओं की संख्या करीब साढ़े चार सौ थी। ब्लाक में सबसे अधिक छात्र संख्या वाला यही एकमात्र विद्यालय था। प्रदेश सरकार द्वारा 2021 में जीजीआईसी को अटल उत्कृष्ट बनाकर सीबीएसई की मान्यता दिलाई। सीबीएसई की मान्यता मिलने के बाद गत वर्ष करीब दो सौ छात्राएं विद्यालय से अपनी टीसी लेकर दूसरे विद्यालयों में चली गई। फिर भी पिछले साल तक ढाई सौ छात्राएं अध्ययनरत थी।
परंतु इस बार तो हद हो गई है। विद्यालय में नए एडमिशन मिलाकर करीब दो सौ छात्राएं ही शेष रह गई हैं। छात्राओं के पलायन का सिलसिला जारी है।
जीजीआईसी से पलायन का कारण
यूके बोर्ड में नवीं व ग्यारवीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन शुल्क मात्र दस रूपए तथा बोर्ड परीक्षा शुल्क दो सौ से तीन सौ तक था जबकि सीबीएसई बोर्ड में रजिस्ट्रेशन शुल्क दो सौ से तीन सौ तथा बोर्ड परीक्षा शुल्क दो हजार से ढाई हजार है। इसके चलते गरीब अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में ले जा रहे हैं।
दूसरा कारण परीक्षा केंद्र को लेकर है अभिभावक परीक्षा केंद्र बाहर जाने की आशंका से उस दौरान होने वाली दिक्कतों को लेकर आशंकित हैं। इंटर में गणित व कॉमर्स भी नही है।
क्या कमी थी यूके बोर्ड में ?
अच्छा होता कि शिक्षाविदों से सुझाव लेकर यूके बोर्ड में जरूरी सुधार कर उसे और सशक्त बनाया जाता l यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने प्रदेश के बोर्ड को महत्व देने के बजाए हम दूसरे बोर्ड के शरण मे चले गए l अब सरकारी स्कूलों से सीबीएसई के नाम पर जो पलायन हो रहा है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा l क्या सिस्टम में ऐसी काबलियत है जो वो हमारे जीजीआईसी की पुरानी रौनक को लौटा दे l
ग्यारहवीं में 128 से घटकर 15 हुई संख्या
जीजीआईसी में यूके बोर्ड के दौरान ग्यारहवीं कक्षा में ही 115 से 128 छात्र संख्या रहती थी परंतु इस बार अभी तक सिर्फ 15 छात्राओं ने ही प्रवेश लिया है जबकि इंटर में भी सिर्फ 23 छात्राएं हैं। हिंदी व अंग्रेजी दोनों माध्यमों से पढ़ाई होने के बाद यह हाल हैं। यह संख्या दोनों माध्यमों को मिलाकर है।
जब छात्राएं ही नही होंगी तो फिर पढ़ाऐंगे किसे
जीजीआईसी में इंटर में 9 प्रवक्ता व 9 एलटी शिक्षिकाएं हैं। स्टाफ की कमी नही है। परंतु छात्राओं की गिरती संख्या से स्कूल प्रशासन का मनोबल टृट रहा है। शिक्षिकांए मायूश व हताश हैं जब छात्राएं ही नही होंगी तो किसको पढ़ाएंगे। छात्राओं के दूसरे स्कूलों में जाने का मुख्य कारण शुल्क के अलावा परीक्षा केंद्र बाहर जाने को आशंका है। स्कूल की स्थिति देखकर सभी चिंतित हैं।
डॉ.नंदी शर्मा
प्रधानाचार्या अटल उत्कृष्ट जीजीआईसी
चौखुटिया
इंसेट
अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में छात्रः संख्या लगातार बढ़ रही है। जीआईसी अल्मोड़ा में इस साल अधिक छात्र प्रवेश लिए है । चौखुटिया व अन्य स्कूलों से जानकारी जुटाई जा रह है l
सुभाष चंद्र भट्ट सीईओ
अल्मोड़ा
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