Connect with us

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड में राज्य भाषा अनुवाद एवं संकाय कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया।

उत्तराखण्ड

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड में राज्य भाषा अनुवाद एवं संकाय कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया।

श्रीनगर गढ़वाल – राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगर उत्तराखंड में एकदिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें तकनीकी शिक्षा में हिंदी भाषा के प्रचार -प्रसार एवं राजभाषा के रूप में सरकारी कामकाज में इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए संकाय सदस्यों ,अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्रों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इन्हीं विचारों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड में राजभाषा अनुभाग एवं संकाय कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह संस्थान के प्रशासनिक भवन में स्थित सम्मलेन कक्ष में पारम्परिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया जिसमे संस्थान के माननीय निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि और जगदीश राम पौरी, संयुक्त निदेशक, राजभाषा, शिक्षा मंत्रालय एवं मुकेश राते वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय मुख्या व्याख्याता और विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रोफेसर अवस्थी कहा कि भाषाई विविधता के बीच हिंदी भाषा , देश में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, सबसे अधिक प्रचलित और बोली जाने वाली भाषा है इसीलिए 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजकीय भाषा के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि किसी देश की प्रगति में उसकी भाषा और संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हिंदी ने देश के सतत विकास में सदा ही अपना योगदान दिया है इसीलिए यह हमारी राजभाषा के साथ राष्ट्रीय एकता की भी भाषा है।
उन्होंने आगे कहा कि हिंदी भाषा में तकनीकी शिक्षा की पढाई में जो सबसे बड़ी बाधा है वह यह है कि आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण तकनिकी ज्ञान की पुस्तके हिंदी भाषा में मौजूद नहीं है। प्रारंभिक स्तर पर सभी बच्चों की बौद्धिक क्षमता लगभग सामान होती। परन्तु हिंदी माध्यम से बारहवीं तक पढाई करने के बाद जब छात्र इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढाई करने जाता है तो हिंदी माध्यम में किताबो के ना होने से उसके सामने चुनौती बढ़ जाती है और कई बार उसके प्रदर्शन में गिरावट आ जाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नयी शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा में भारतीयता और भारतीय सन्दर्भ में शिक्षण पर विशेष जोर दिया है। जिसके अंतर्गत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) एवं शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अंग्रेजी में उपलब्ध ज्ञान -विज्ञान और तकनीकी पुस्तकों का हिंदी के साथ अन्य भारतीय भाषाओ में रूपांतरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने सभी संकाय सदस्यों से कहा कि कि इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के लिए हिंदी माध्यम में पुस्तके उपलब्ध भी है और उसकी ई-कॉपी नाममात्र के मूल्य पर खरीदी जा सकती।


प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि इसी कड़ी में एन आई टी उत्तराखंड भी तकनीकी और विज्ञान की गतिविधियों के साथ हिंदी में लिखने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन देने कि लगातार प्रयत्न कर रहा है। जिसके लिए संस्थान में विभिन्न प्रकार के प्रभावी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है साथ ही हिंदी को पत्र व्यवहार और सूचना के आदान प्रदान के लिए एक माध्यम के रूप में सुनिश्चित किया गया है । संस्थान के वेब पोर्टल पर हिंदी में भी जानकारी दी जा रही है, सारे पत्राचार अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी में भी किये जा रहे है और वार्षिक प्रतिवेदन का हिंदी संस्करण भी संस्थान में प्रतिवर्ष उबलब्ध कराया जाता है ।
जगदीश राम पौरी ने उपस्थित लोगो को सम्बोधित किया और राजभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा राजभाषा अधिनियम की विभिन्न धाराओं में व्यक्त राजभाषा संबंधी प्रावधानों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा की आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने वर्ष २०२३ के अंत तक सभी हिंदी भाषी राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड ,मध्यप्रदेश, बिहार आदि में शत प्रतिशत प्रशासनिक पत्राचार हिंदी माध्यम में करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने उपस्थितों लोगो को यह भी बताया कि राजभाषा संबंधी निर्देशों के अनुपालन में प्रेरणा, प्रोत्साहन और पुरस्कार की नीति को अपनाया गया है, लेकिन जान-बूझकर निर्देशों का उल्लंघन पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान भी रखा गया है। इसके अतिरिक्त जगदीश राम पौरी ने अपने व्याख्यान के दौरान हिन्दी में अभिलेखों/फाईलों/पत्रों/परिपत्रों पर कार्य करने हेतु वह अपना ज्ञान और अनुभव साझा किया।


कार्यशाला के अंत में कार्यक्रम के संचालक एवं प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी ने सभी लोगो का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन भारतीय संविधान के निर्देशों के अनुपालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सरकारी काम काज में हिंदी
का अच्छे से उपयोग हो सके इसके लिए हिंदी भाषा का प्रशिक्षण और अभ्यास आवश्यक है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हिंदी कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह हिंदी कार्यशाला सभी प्रतिभागियों के लिए सुरुचिपूर्ण और सूचनाप्रद रही है। जो भी महत्वपूर्ण बातें कार्यशाला में सीखी गई हैं उन्हें प्रतिभागी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अवश्य उपयोग में लाएँ और हिंदी प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दें।

Ad Ad

More in उत्तराखण्ड

Trending News

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page