Connect with us

कविजन हिताय साहित्य मंच द्वारा आयोजित हुई काव्य गोष्ठी।

उत्तराखण्ड

कविजन हिताय साहित्य मंच द्वारा आयोजित हुई काव्य गोष्ठी।



रानीखेत। कविजन हिताय साहित्य मंच रानीखेत द्वारा बाल दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाओं से पूरी गोष्ठी में समा बांधे रखा और सभी का मन मोहा। रानीखेत मिशन इंटर कॉलेज में कविजन हिताय साहित्य मंच द्वारा बाल दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य समागम का आयोजन किया गया। काव्य समागम में रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से बच्चों के मनोभावों, बाल साहित्य पर केन्द्रित रचनाओं से काव्य रस धारा बहाई। अपनी अपनी रचनाओं से कार्यक्रम में तीन घंटे समां बांधे रखा।

काव्य समागम की शुरुआत रचनाकार भुवन बिष्ट ने मां वागीश्वरी की वंदना ‘दैण हैजा माता मेरी सरस्वती,दिये माता भौल बुलाण भलिं मति, से की। कवि, साहित्यकर्मी विमल सती ने स्वयं को बाल स्मृतियों की यात्रा कराते हुए कहा ‘ कच्चे फर्श पर मां मेरी, गोबर मिट्टी से करें लिपाई,बुझा कोयला दे हाथों में
खूब कराती मुझे लिखाई..। साथ ही ‘बचपन में जब गिरता था, खाकर ठोकर,पड़ा रहता जमीं पर रो कर/तब माँ दौड़कर उठाती,मलाशती,और जमीं को पीटकर डाँटती उसे,मढ़ देती सारा दोष उसके सिर..’रचना सुनाई। युवा कवि विशाल फुलारा ‘सानू’ ने बचपन में जीने की उत्कट अभिलाषा प्रकट करते हुए कहा’.मदमस्त गगन हंसता मुझमें,इक बच्चा जिंदा रहने दो.. ‘कवयित्री गीता जोशी ने ,’.नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चों ‘ गेय शैली में आह्वान गीत पेश किया वहीं कवयित्री गीता पवार ने बच्चों पर पड़ रहे पढ़ाई के बोझ की पीड़ा को ‘दब गए हैं बच्चे ..’कविता के माध्यम से सामने रखा, वहीं बेटा -बेटी की समानता की पैरोकारी’बेटा बेटी एक समान’ कविता के जरिए की। रचनाकार सीमा भाकुनी ने ‘भरना चाहूं ऊंची उड़ान,आशाओं के पंख लगा कर …’रचना से आशावादिता का संदेश दिया वहीं कवयित्री तनूजा पंत जोशी ने ‘बचपन’ और ‘बचपन निकल रहा है।कविता के माध्यम से आज के बदलते बचपन और मां-पुत्र के भावात्मक संबंध का शब्द चित्र खींचा। कवियत्री डॉ विनीता खाती ने बालपन को जहां शब्दों की चिमटी से पकड़ने की कोशिश की वहीं कुमाऊनी कविता ‘जग्गू अब सयाण हैगो..’रोचक ढंग से पेश कर आज के बच्चों, किशोरों में आ रहे बदलाव को रेखांकित किया। कवयित्री भावना मेहरा जोशी ने ‘मेरे प्यारे बच्चों तुमको भी कुछ बोध हो..’ उपदेशात्मक कविता प्रस्तुत कर संदेश देने की कोशिश की। काव्य समागम में कविताओं का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए कवयित्री अंकिता पंत ने अपनी रचनाओं ‘ कुछ लेकर -देकर पाया न जाएगा’.और ‘वो चेहरे याद आए..’ से काव्य प्रेमियों को प्रभावित किया वहीं कवि राजेन्द्र प्रसाद पंत ने बचपन की ओर लौटाते हुए व्यक्त किया ‘अभी कच्ची मिट्टी के हो तुम..’ एडवोकेट दिनेश तिवारी ने हमेशा की तरह मानवीय संवेदना से पगे शब्द कविता के जरिए उड़ेलते हुए कहा,’ आज देखा एक बेटी को कूड़ा बीनते हुए..’ इसी क्रम में कवयित्री मीना पांडे ने बाल रचना ‘ ‘बिंदुली हमारी बड़ी होशियार ‘ प्रस्तुत कर समागम की रोचकता बरक़रार रखी। कवि भुवन बिष्ट ने बाल आह्वान गीत ‘कदम कदम मिलाकर चल..’ प्रस्तुत की वहीं अमित कुमार तिवारी ने भी अपनी बाल रचना से प्रभावित किया। नवोदित कवयित्री प्रीती जोशी ने बचपन में लौटने की अभिलाषा और मर्म को’ मां मुझे बचपन लौटा दो..’रचना के माध्यम से अभिव्यक्त किया। काव्य समागम का संचालन रंगकर्मी वरिष्ठ पत्रकार विमल सती ने किया।इस अवसर पर श्रीमती शशि कांडपाल, सचिन साह, गौरव भट्ट,संजय पंत,कमल कुमार, अशोक पंत, रामेश्वर गोयल,गौरव तिवारी, सोनू सिद्दीकी अभिषेक कांडपाल आदि लोग मौजूद रहे।
बाक्स में====
इन रचनाकारों ने प्रस्तुत की रचनाएं
भुवन बिष्ट, विमल सती, विशाल फुलारा ‘सानू’ गीता जोशी, गीता पवार, सीमा भाकुनी, तनूजा पंत जोशी, डॉ विनीता खाती, भावना मेहरा, अंकिता पंत, राजेन्द्र प्रसाद पंत, मीना पांडे ,अमित कुमार तिवारी, प्रीती जोशी।
काव्य गोष्ठी में रहे उपस्थित
श्रीमती शशि कांडपाल, सचिन साह, गौरव भट्ट, संजय पंत, कमल कुमार, अशोक पंत, रामेश्वर गोयल,गौरव तिवारी, सोनू सिद्दीकी अभिषेक कांडपाल।

Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

More in उत्तराखण्ड

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page