हल्द्वानी
हाईकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर राज्य में हंगामा : सुप्रीम कोर्ट में हो सकता है निर्णय , ऋषिकेश शिफ्टिंग के कयासों से कुमाऊं के लोगों में भयंकर गुस्सा ।।
हाई कोर्ट शिफ्टिंग को लेकर भयंकर बवाल
नैनीताल – पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड हाई कोर्ट को नैनीताल से ऋषिकेश शिफ्ट करने या उसकी एक बेंच ऋषिकेश में बनाने को लेकर हंगामा हो रहा है, इसको लेकर वकीलों-अधिवक्ताओं और विपक्ष के नेताओं में काफी गुस्सा नजर आ रहा है, सभी लोग इसके खिलाफ आंदोलन तक की बात करने लगे हैं अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है ।
बड़े नेता इस मामले में चुप्पी साध क्यों बैठे हैं ?
लेकिन प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के बड़े नेता इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हुए हैं जिसका जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। नवंबर के आखिरी हफ्ते में राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने को लेकर हरी झंडी दिखा दी थी. लेकिन अब ज्यादा पेड़ कटने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की बात कहकर यहां से किनारा कर लिया है,।
बहुत पुराना है नैनीताल हाई कोर्ट का इतिहास
भले ही नैनीताल में हाईकोर्ट की स्थापना उत्तराखंड की स्थापना के बाद ही हुई हो, लेकिन इस भवन का निर्माण देश के आजाद होने से भी कई साल पहले हो गया था.आपको पहले हाईकोर्ट से जुड़ी हुई कुछ बात बताते हैं साल था 1862 जब हाईकोट भवन के निर्माण की कवायद शुरू हुई थी.. पहले यह भवन सचिवालय के लिए बना था साल 1900 से वर्तमान हाईकोर्ट भवन में सचिवालय की स्थापना हुई. वर्तमान में नैनीताल स्थित हाईकोर्ट काफी साल पुराना है. इसकी बुनियाद ब्रिटिशकाल में रखी गई थी. आपको बताते चलें कि साल 1862 से इस भवन के निर्माण की कवायद शुरू हो गई थी. साल 1898 से 1900 तक इस भवन का निर्माण हुआ और साल 1900 से वर्तमान हाईकोर्ट भवन में सचिवालय की स्थापना हुई. हालांकि साल 2000 में उत्तराखंड की स्थापना के बाद देहरादून को राज्य की राजधानी बनाया गया. इसके बाद राज्य का हाईकोर्ट नैनीताल में बना दिया गया, अब इस हाईकोर्ट को तराई शिफ्ट करने को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं।
पहाड़ को अनदेखा किया जा रहा है ।
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य होने के बावजूद यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में कोई भी बड़ी योजनाएं और बड़े विभागों को स्थापित क्यों नहीं किया जा रहा है लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि जब राज्य की स्थापना उसकी भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर की गई थी तो इसके संसाधनों पर तराई को ही अधिकार क्यों दिया जा रहा है ।।
यह स्थान हो सकते हैं हाईकोर्ट के लिए उपयुक्त
हल्द्वानी के आसपास के लोगों की बात मानें तो हाई कोर्ट को शिफ्ट करने का सबसे बेहतर स्थान रानीबाग एचएमटी की बंद पड़ी फैक्ट्री की जमीन को माना जा रहा है अगर यहां हाईकोर्ट बनता है तो इससे कुमाऊं के साथ-साथ गढ़वाल के लोगों को भी हाईकोर्ट तक पहुंचने में आसानी होगी … अगर रानीबाग संभव नहीं है तो हाईकोर्ट को गैरसैंण शिफ्ट कर देना चाहिए उत्तराखंड की राजधानी बनाने के लिए अनेक पार्टियों सालों से लोगों को गुमराह गैरसैंण के नाम पर कर रही हैं अब लोग कह रहे हैं गैरसैंण में बने भवन को ही हाईकोर्ट बना दो ।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट को कुमाऊं से कहीं और शिफ्ट करने का घोर विरोध जताते हुए ध्वनिमत में खंडपीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का प्रस्ताव पारित किया है।उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पिछले दिनों एक आदेश पारित कर उच्च न्यायालय की बेंच को ऋषिकेश शिफ्ट करने का मौखिक निर्देश दिया था।इसके बाद बड़ी संख्या में बार एसोसिएशन के अधिवक्ता न्यायालय के सम्मुख पहुंचे। न्यायालय ने बार को एक सप्ताह में अधिवक्ताओं का जनमत कराकर न्यायालय की शिफ्टिंग को लेकर अपना मत बताने के लिए कहा था लेकिन बाद में न्यायालय ने आदेश जारी कर अधिवक्ताओं और आम लोगों को भी न्यायालय शिफ्टिंग पर हां या ना में अपनी राय रखने के लिए कहा था। उस दिन से ही बार की लगातार बैठकें हो रहीं हैं।
कुमाऊं और गढ़वाल की लड़ाई को बड़ावा
नेता भले ही इस मामले पर चुप बैठ गए हो लेकिन यहां की जनता खामोश होने वाली नहीं है, इस मामले ने तो कुमाऊं और गढ़वाल की लड़ाई को बड़ावा दे दिया है एक ही राज्य होने के बाद भी भारत – पाकिस्तान जैसे हालात हैं अगर हाईकोर्ट को स्थानांतरित किए जाने की बात आती है और उसे जानबूझकर तराई क्षेत्र में स्थापित किया जाता है तो इसका खामियाजा सरकार को उठाना पड़ सकता है क्योंकि लोग इस बात से आहत हो गए हैं कि उन्होंने राज्य की स्थापना शहरी क्षेत्र के ही विकास के लिए ही नहीं परंतु पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिए की थी ।।