धर्म-संस्कृति
अक्षय तृतीया विशेष।
ज्योतिषाचार्य मंजु जोशी
3 मई 2022 दिन मंगलवार अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है।
इस अक्षत किया आपको कुछ विशेष शुभ योग देखने को मिलेंगे।
रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग से मंगल रोहिणी योग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुंभ में और बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में विराजमान होंगे। मंगलवार को तृतीया तिथि होने से सर्वसिद्धि योग बन रहा है।
आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त व महत्व
वैशाख माह भगवान विष्णु जी का सबसे प्रिय माह माना जाता है।वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं। इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय ( जिसका क्षय न हो) हो जाता है। इसलिए माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम केवल शुभ ही होते है। परंपरागत रूप से, दिवाली से पहले धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया को भी विशेष पर्व मानते है चूंकि अक्षय का अर्थ शाश्वत होता है इसलिए लोग अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए सोना, चांदी या घरेलू विद्युत उपकरण व वाहन आदि खरीदने के लिए शुभ मानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।
शुभ मुहूर्त:
अक्षय तृतीया पर पूजा का मुहूर्त शुक्रवार, 3 मई 2022 प्रातः 5 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 3 मई 2021 सुबह 5 बजकर 38 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 4 मई प्रातः 7 बजकर 59 मिनट तक।
पूजा विधि
कोरोना काल में बाहर आने-जाने पर प्रतिबंध है, इसलिए घर पर रहकर ही अक्षय तृतीया का पर्व मनाएं।
- घर में ही गंगा का स्मरण कर स्नान करें, तो गंगा स्नान का हमें लाभ होगा। बस इस श्लोक का उच्चारण कर स्नान करें..
गंगेच यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधि कुरु।।
इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराएं रोली, कुमकुम अक्षत, पंचमेवा पंच मिठाई सफेद फूल अर्पित करें भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के मंत्रों (ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः) का जाप करें। घी का दीपक जलाकर आरती करें।
वैश्विक महामारी कोराना के चलते इस दिन दान करने के लिए बाहर जाना संभव न होने के कारण अक्षय तृतीया के दिन दान का संकल्प करें जब बाहर जाना संभव होगा, तब दान करें। अक्षय तृतीया के अवसर पर वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है अन्न, वस्त्र,गाय को भोजन कराएं, जौ, तिल,भेंट व पित्रों की पसंदीदा वस्तुओं का दान कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के अवसर पर अपने घरों में छोटा सा हवन अवश्य करें जिससे कि हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध हो।