उत्तराखण्ड
कमस्यार के आँचल का सुन्दर गाँव भद्रकाली।
सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में के इस गांव का गौरवशाली इतिहास रहा है।
इस गाँव के आसपास सिलाटी हवन तोली गौजाणी कपूरी अटपैसिया खातीगाँव मलसूना सहित दर्जनों सुन्दर गांवों की लम्बी श्रृंखला है।
रमाकान्त पन्त
जनपद बागेश्वर के कमस्यार घाटी में स्थित भद्रकाली गाँव एक सुन्दर व मनोहारी गाँव है इस गांव का अद्भुत सौंदर्य बरबस ही यहां आने वाले आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करता है सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में इस गांव का बड़ा ही अतुलनीय व अमूल्य योगदान सदियों से रहा है यहां निवास करने वाले जोशी परिवार के लोग ही प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ भद्रकाली मंदिर में पूजा अर्चना का दायित्व संभाले हुए हैं वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है माँ भद्रकाली का पावन पीठ इस गाँव की सबसे बड़ी आध्यात्मिक धरोहर है भद्रकाली गाँव में स्थित माता भद्रकाली की महिमा सम्पूर्ण जगत में सर्वविदित है शिव जटाओं से प्रकट माँ की यह पावन भूमि युगों- युगों से साधकों की साधानाओं का भी परम केन्द्र रही है।
भद्रकाली गाँव के सुन्दर सीढ़ीनुमा खेत खेतों के लिए प्राकृतिक रूप से पानी का बहाव माँ की कृपा से गॉव की समृद्धि का सूचक है गाँव के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा झरना व उसके समीप पनचक्की का दृश्य गाँव के अतीत की कई यादों को अपनें आप में समेटे हुए है कभी चहल – पहल व भरा – पूरा यह गाँव भी पहाड़ के अन्य गाँवों की तरह पलायन के चलते दिन प्रतिदिन खाली होता जा रहा है वर्षों पूर्व की तुलना में इस गाँव से भी लोगों ने तेजी के साथ पलायन किया है जिस कारण गाँव की चहल पहल अब धीरे – धीरे कम होते जा रही है बाहरी क्षेत्रों में बसे लोगों को वर्षों में कभी कभार अपनी जन्म भूमि की याद आती है तो लोग कुछ समय के लिए आते है तीज त्यौहार व अन्य पर्वो पर घर आनें वाले लोग गाँव में स्थित प्राचीन शक्ति पीठ माँ भद्रकाली के दर्शन अवश्य करते है भद्रकाली गॉव में माँ भद्रकाली शक्ति पीठ स्थित होने के कारण इस भूमि का विराट आध्यात्मिक महत्व है यह ग्रामीण क्षेत्र देश के प्रसिद्ध ऋषि- मुनियों की तपोभूमि रही है आध्यात्मिक रूप से यह गाँव जितना समृद्ध है विकास में उतना ही पिछड़ा है शिक्षा यातायात स्वास्थ्य व संचार सहित तमाम समस्याओं का यहीं नहीं पूरे क्षेत्र में जबरदस्त संकट है मार्ग निर्माण के अभाव में लोग यहाँ आने में कतराते है हालांकि मंदिर परिसर में हाल के महीनों में सौदयी करण होने व मंदिर के चर्चा में आने से लोगों की आवाजाही तो बढ़ी है लेकिन समुचित विकास नहीं होनें से यह क्षेत्र उपेक्षा का दंश झेल रहा है भद्रकाली गाँव में स्थित माँ के दर्शनों हेतु जिस उत्साह के साथ भक्त जन आते है वापसी में जर्जर यातायात की बदहाली से कड़वे अनुभव लेकर लौटते है।
भद्रकाली गाँव के प्रवेश द्वार पर प्रदीप जोशी की दुकान है पहले यह दुकान उनके पिताजी स्व० नन्दा बल्लभ जोशी चलाते थे उनके निधन के पश्चात् प्रदीप इस दुकान को सभाले हुए है साथ ही यहाँ आने वाले आगंतुकों की वे बड़े ही मनोयोग से सेवा करते है अपने पास उपलब्ध संसाधनों से वे हर एक की सेवा पर पूरा ध्यान देते है यहाँ ठहरनें वाले यात्रियों के लिए प्रातः काल गर्म पानी की व्यवस्था भोजन इत्यादि की व्यवस्था पर भी प्रदीप जोशी माँ भद्रकाली के सेवक के रूप में सदैव तत्पर रहते हैं भद्रकाली गाँव में वर्तमान समय में लगभग 22 परिवार ही यहाँ रह गये है जो विशेष रूप से खेती का पर ही निर्भर है यहाँ माल्टा नारंगी धान गेहूँ चना मटर सहित अनेक पैदावर होती है सनातन संस्कृति के ध्वज वाहक के रूप में प्रसिद्ध रहा यह गाँव पलायन के दंश से धीरे धीरे अपनी रौनक खोते जा रहा है माँ भद्रकाली के प्रति गहरी आस्था रखने वाले महान् भद्रकाली भक्त पभ्या गाँव के निवासी स्व० श्री प्रयाग दत्त पंत कहा करते थे भद्रकाली गाँव व भद्रकाली मंदिर दोनों की अपने आप में अद्भुत है कुचौली गाँव के निवासी स्व० श्री पूरन चन्द्र पंत का भी यहां से विशेष स्नेह व नाता था।
भद्रकाली गाँव में अनेकों विभूतियों ने जन्म लेकर गाँव का गौरव बढ़ाया अतीत की यादों के रूप में लक्ष्मी दत्त सदानंद तिलोमणी प्रेमानन्द सहित अनेकों ऐसे नाम है जिनका नाम आज भी आदर पूर्वक लिया जाता है कुल मिलाकर भद्रकाली गांव में एक अनूठी संस्कृति रची – बसी है अध्यात्म की यह विराट संस्कृति अपने आप में अद्वितीय है क्योंकि माँ भद्रकाली का पावन पीठ इस गांव में होने से इस गांव का गौरव समूचे विश्व में अद्वितीय है।
जैसै सतियों में माता पार्वती श्रेष्ठ़ है,देवताओं में विष्णु,सरोवरों में समुद्र,नदियों में गंगा,योगियों में याज्ञवल्क्य,भक्तों में नारद,शिलाओं में वैष्णवी शालग्रामशिला,वनों में वदरीवन,धेनुओं में कामधेनु,मनुष्यों में विप्र,विप्रों में ज्ञानदाता,स्त्रियों में पतिव्रता,प्रियों में पुत्र,पदार्थों में सुवर्ण ,मुनियों में शुकदेव,सर्वज्ञों में व्यास देव ,देशो में भारत,मनुष्यों में राजा,देवताओं में इन्द्र ,वसुओं में कुबेर,पुरियों में कैलाशपुरी,अप्सराओं में रम्भा,गन्धर्वो में तुम्बरू,क्षेत्रों में केदार,व पर्वतों में हिमालय,हिमालय में माँ शुभ काली अर्थात् माँ भद्रकाली का यह क्षेंत्र अतुलनीय है सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में के इस गांव का गौरवशाली इतिहास रहा है।
इस गाँव के आसपास सिलाटी हवन तोली गौजाणी कपूरी अटपैसिया खातीगाँव मलसूना सहित दर्जनों सुन्दर गांवों की लम्बी श्रृंखला है।