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हरिद्वार में अवैध तस्करी के लिए बछड़ों की जा रही जमाखोरी

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हरिद्वार में अवैध तस्करी के लिए बछड़ों की जा रही जमाखोरी

हरद्विार। उत्तराखंड क्षेत्र में पशुपालन के लिए प्रसिद्ध वन गुर्जर ईद से पहले अवैध तस्करी के लिए बछड़ों की जमाखोरी कर रहे हैं। 24 मई को, हरिद्वार राजमार्ग पर बहादराबाद टोल के पास ध्यान फाउंडेशन के कुछ स्वयंसेवकों को मवेशियों के दो झुंड मिले, जिनकी संख्या लगभग 100 थी। पूछताछ करने पर कि इतने मवेशी हाईवे पर क्या कर रहे हैं, उनके मालिक यह नहीं बता सके कि वे कहां से हैं और उन्हें कहां ले जा रहे हैं। उनके पास गोवंश से सम्बंधित कोई लाइसेंस या स्वामित्व का प्रमाण भी नहीं था। इसे संदिग्ध पाते हुए, स्वयंसेवकों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। आगे की जांच में पाटली पुर पुल के नीचे 62 नर बछड़े भी पाए गए । किसी भी मवेशी को टैग नहीं किया गया था, साथ ही सभी को एक छोटे से बाड़े में बांध दिया गया था। उनके लिए पानी और चारे की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। बछड़ों की माताएं शाम तक भी वहाँ नहीं थी। दोपहर 12.30 बजे से डी एफ के स्वयंसेवक पुलिस और एनिमल हस्बैंड्री से समन्वय कर एफआईआर करवाने और बछड़ों को रजिस्टर्ड गौशाला में भेजने का प्रयास कर रहे थे।
“यह संदेहजनक है,कि नर बछड़ों को एक कोने में ठूँस कर बांध दिया गया था। हमने पुलिस से एफआईआर करने के लिए अनुरोध किया। पुलिस सभी गौवंश को टैग करने और सरकारी गौशाला में स्थानांतरित करने के लिए भी सहमत हो गई थी। किन्तु यहाँ पर नोट करने वाली यह बात थी कि सभी केवल नर बछड़े हैं, जिन्हें घंटों से दूध नहीं पिलाया गया था,वह सभी अपनी माताओं से अलग थे और सभी कँटीले पत्ते खा रहे थे। जब एडब्ल्यूबीआई के अधिकारी आए, तो उन्होंने कहा कि इस राज्य में कानून और व्यवस्था थोड़ी अलग है और हम केवल पशुओं को टैग कर सकते हैं एसएचओ साहब शुरुआत में कही गई अपनी बात से मुकर गए और कहा कि हम गोवंश को स्थानांतरित नहीं कर सकते क्योंकि गाँव वाले हमारे पीछे पड़ जाएंगे। अचानक हुए बदलाव से हमें हैरानी हुई। जब बछड़ों की माताएं आईं तो हमने पूछा कि बैल कहां हैं- क्योंकि बैलों की संख्या समान होने पर नर बछड़े सुरक्षित होते हैं। डीएफ के एक स्वयंसेवक कर्नल माथुर (सेवानिवृत्त) ने कहा।
इसके अलावा, एफआईआर दर्ज नहीं की गई, केवल शिकायत दर्ज हुई और हमें डीएम नंबर दिया गया। एसएचओ नितेश शर्मा ने बताया कि जांच के बाद ही हम तय करेंगे कि एफआईआर दर्ज करनी है या नहीं। उन्होंने हमें बताया कि जांच के लिए 2-3 दिनों की आवश्यकता होगी।
मामले में तत्काल जांच का अनुरोध करने के लिए हम आज डीएम से मिल रहे हैं क्योंकि सभी सबूत गो तस्करी की ओर इशारा कर रहे हैं।
ध्यान फाउंडेशन बीएसएफ द्वारा बचाए गए मवेशियों के पुनर्वास के लिए काम करने वाली एकमात्र संस्था है। हमारे सीमित संसाधनों के बावजूद बीएसएफ से बचाए गए 70,000 से भी अधिक पशुओं को हमारी 48 गौशालाओं में बसाया गया है। हमारे स्वयंसेवकों और कर्मचारियों ने उनके बचाव और पालन पोषण के लिए कोविड,आंधी – तूफान और भारी वर्षा जैसी चुनौतियों का सामना किया है।?

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