राष्ट्रीय
क्या पीएम मोदी को जीत की शुभकामनाएं ना देकर गांधी परिवार ने अपने लिए ही खोद दी खाई ?
दुनिया के 50 से ज्यादा देशों ने रिकॉर्ड तीसरी बार जीत पर भारत के प्रधानमंत्री को दी शुभकामनाएं
नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश में अपनी सरकार बनाकर मंत्री पद भी बांट दिए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया से बधाई मिलने का सिल- सिला जारी है दुनिया के 50 से ज्यादा देशों ने रिकॉर्ड तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र दामोदर दास मोदी को अपनी शुभकामनाएं दी हैं, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है,पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने चुनाव जीतने पर पीएम मोदी बधाई दी है. पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ ‘सहयोगात्मक संबंध’ और बातचीत के माध्यम से विवादों का समाधान चाहता है। लेकिन हैरानी कि बात यह है कि कांग्रेस से गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद कोई भी बधाई संदेश नहीं लिखा ,कांग्रेस के मुख्यमंत्री और नेताओं ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम को शुभकामनाएं दी लेकिन कांग्रेस के प्रमुख नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएं नहीं दी हैं ,इसके बाद यह चर्चा चल गई है कि ऐसी भी क्या गिला- शिकवा हो गई कि चुनाव जीतने के बाद बधाई भी नहीं दी जा रही ।
गांधी परिवार ने क्यों नहीं दी बधाई
जब रहना एक ही देश में है और प्रधानमंत्री बनने के बाद तो वह सभी का प्रतिनिधित्व करते हैं तो ऐसे में यह नफरत की भावना क्यों फैलाई जा रही है, जहां एक ओर 50 से ज्यादा देश भारत को बधाई दे रहे हैं तो वहीं गांधी परिवार का बधाई न देना विश्व में क्या संदेश देगा इस पर भी लोग बात कर रहे हैं ।।
जबकि राहुल गांधी ने पिछले दो कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं दी थी और यह होना भी चाहिए, विपक्ष का कर्तव्य है कि वह सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चले और वह कदम से कदम मिलाकर तब ही चल सकता है जब सरकार में बैठे लोगों के साथ उसके संबंध कुछ हद तक ठीक होंगे , यही लोकतंत्र की खूबसूरती है यही लोकतंत्र की ताकत है ।।आखिर सोनिया गांधी ने बधाई संदेश न देकर क्या संदेश देने की कोशिश की है ? हमने देखा कि मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भी कांग्रेस की ओर से केवल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ही पहुंचे थे ।। तो सवाल है विपक्ष के बड़े नेता इस कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे, लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि चुनाव होने तक तो वाद विवाद होता है परंतु उसके बाद सभी नेता मिलकर देश के विकास के लिए प्रयास करते हैं लेकिन आज भारत में नफरत इतनी घुल गई है कि लोकतंत्र भी अपनी मूल जड़ से खिसकने लगा है यह देश के लिए अच्छा नहीं है ।।
नफरत की भावना नहीं प्रेम फैलाओ
यह उस देश में हो रहा है जहां अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेता को विपक्ष के द्वारा एक सीट वापस लेकर उन्हें सत्ता से हटाया गया तो तब भी उन्होंने नफरत की भावना नहीं फैलाई ,उन्होंने उसे वक्त के लिए छोड़ दिया और अटल बिहारी बाजपेई अपनी पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के सभी नेताओं के साथ बैठते थे साथ में चाय भी पीते थे खाते भी थे और यही होना भी चाहिए , अगर आप किसी के सामने कभी भी जाएं तो ऐसी स्थिति ना हो कि उसे वहां से उठना पड़े ,गांधी परिवार सरकार बनने से दूर तो लगातार हो ही रहा है लेकिन भारत के संस्कारों से भी दूर हो रहा है , राहुल गांधी ,सोनिया गांधी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मिलकर उनका स्वागत तो कर सकते हैं शेख हसीना के भारत आने पर उन्हें बधाई दे सकते हैं ,लेकिन देश की जनता के द्वारा चुने गए नेता मोदी को बधाई नहीं देना चाहते यानी इससे कहा जा सकता है कि गांधी परिवार अपने विनाश की कथा खुद ही लिख रहा है , जिससे लोगों में यह गलत संदेश जाता है कि यह लोग तो अपने अहंकार में रहते हैं तो उन्हें वोट देकर हमें क्या ही करना है यह हमें क्या ही पूछेंगे ।