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शिक्षा- रोजगार अभी भी पलायन का सबसे बड़ा कारण: 10 सालों में 17 लाख लोगों ने छोड़ा पहाड़! शहरों में बड़ा दबाव रिपोर्ट में हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने ?

दीपक जोशी

शिक्षा- रोजगार अभी भी पलायन का सबसे बड़ा कारण: 10 सालों में 17 लाख लोगों ने छोड़ा पहाड़! शहरों में बड़ा दबाव रिपोर्ट में हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने ?

उत्तराखंड में पलायन मजबूरी है या फिर शहर में रहने की चाहत आज इसी बात को हम गहराई से समझने की कोशिश करते हैं. क्योंकि उत्तराखंड में पिछले 10 सालों में 17 लाख से अधिक लोगों ने गांव को छोड़कर शहरों में पलायन किया है यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला है जिससे पहाड़ सुनसान तो शहरों में आबादी बढ़ जाने के कारण दबाव बढ़ गया है इस समस्या को देखते हुए अब शहरों में विकास की नई-नई योजनाएं चालू की जा रही है लेकिन गांव में योजनाओं को पहुंचाने में अभी भी शासन प्रशासन सक्रिय नहीं हो पाया है… हम बात करें आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट की तो बीते 10 साल में उत्तराखंड के अलग-अलग पर्वतीय जिलों में से 17 लाख लोग पलायन कर शहरों में बस गए हैं उनकी सबसे पहली चाहत शहरों में बसना ही है इससे शहरों में काफी ज्यादा दबाव तो बड़ा ही है लेकिन गांव खाली हो गए हैं..

मामले की गंभीरता को देखते हुए अब शहरों में अवस्थापना विकास के लिए नई योजना भी बनाई जा रही है हम बात करें डेवलपमेंट ऑफ स्मार्ट अर्बन कलस्टर प्रोजेक्ट यानी यूएसयूसीपी तैयार किया जा रहा है इस परियोजना के तहत अब शहरों में नई बस रही आबादी के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जाएगा .रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती आबादी की वजह से राज्य के शहरी स्थानीय निकाय नगर निगम और नगर पालिका की संख्या भी लगातार बढ़ रही है उत्तराखंड के मुख्य शहरों हल्द्वानी, काशीपुर, रामनगर, हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश में पिछले 10 सालों में लोगों की संख्या में भारी इज़ाफा हो गया है. वही अल्मोड़ा ,बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली ,उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा पलायन की मार पड़ी है

***क्या है पलायन का मुख्य कारण

सबसे बड़ा कारण पलायन का अभी भी पहाड़ों में रोजगार की अभावता को ही देखा जा सकता है जीवन यापन करने के लिए मूलभूत आवश्यकताओं के लिए लोगों को शहरों पर निर्भर होना पड़ रहा है जिससे लोग धीरे-धीरे शहरों में आकर बसने की कोशिश करते हैं और अपनी जिंदगी की सारी कमाई शहरों में एक छोटे कमरे को लेने को ही उचित समझते हैं..

***शिक्षा के लिए स्कूलों की कमी

कहा जाता है कि अगर पहाड़ में उचित शिक्षा मिल जाए तो लोगों को पलायन के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा लेकिन अभी भी पहाड़ों में स्कूलों की उचित शिक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण भी लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं लोगों का मानना है कि उनके बच्चे अगर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ेंगे तो उन्हें उचित शिक्षा का मिलना आवश्यक है जो उन्हें पहाड़ के विद्यालयों में नहीं मिल पा रही है क्योंकि यहां एक तो विद्यालय बहुत दूर-दूर हैं और जो हैं भी तो उनमें शिक्षकों की कमी है इसलिए उन्हें शहरों में जाकर प्राइवेट विद्यालयों की ओर जाना पड़ रहा है

***स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

पहाड़ों में अच्छे हॉस्पिटल ना होने के कारण कुछ भी बीमारी होने पर लोगों को शहरों में आकर ही इलाज करना पड़ता है और महिलाओं के गर्भवती होने पर अनेक महिलाओं को शहरों में रखना पड़ता है ताकि गर्भावस्था के समय में कोई दिक्कत नहीं हो लोगों का मानना है कि अगर हमारे गांव में सही हॉस्पिटल होते तो हमारा इलाज और गर्भावस्था के समय हमारी महिलाओं को सैकड़ो किलोमीटर दूर शहरों की ओर नहीं जाना पड़ता लेकिन पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं तो भगवान के भरोसे ही चल रही हैं बजट में चाहे कितने ही हजार करोड़ का बजट स्वास्थ्य के लिए मंजूर हो जाए लेकिन पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभी भी अभाव है.

***शादी के बाद लड़कियों की शहरों में जाने की डिमांड

जब किसी पहाड़ में रहने वाले लड़के की शादी होती है या शादी की बात चलती है तो लड़की भी अपने उज्जवल भविष्य को लेकर चिंतित रहती है और उसकी पहली मांग रहती है कि शादी तभी होगी जब लड़के का शहर में मकान होगा क्योंकि उसे इन पहाड़ी क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे लड़कियां पहाड़ों में नहीं रहना चाहती और मजबूरन लड़कों को शहरों में कमरा लेकर उन्हें शहरों में रखना पड़ रहा है।

***सड़क कनेक्टिविटी की कमी

देश में अनेक नेशनल हाईवे- अनेक एक्सप्रेसवे बेशक बना रहे हैं लेकिन पहाड़ के हजारों गांव में आज भी सड़क नहीं पहुंच पाई है और लोगों को सैकड़ो किलोमीटर दूर जाकर ही सड़क मिल पाती है ऐसे में गांव में सड़क न होने के कारण जरूरत के समय उनको वहां तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसलिए वह अपना गांव अपनी मातृभूमि छोड़कर पहाड़ों में से शहरों में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं

***जंगली जानवरों का आतंक

पहाड़ों में छोटे किसान होते हैं और उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए अपने खेतों पर ही निर्भर होना पड़ता है परंतु पिछले कई समय से उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक देखकर वह परेशान हो गए हैं कुछ भी खेतों में लगाते हैं तो उसे जंगली जानवर नुकसान पहुंच जाते हैं और किसान को भारी नुकसान हो जाता है और पिछले कुछ समय में तो यहां तक देखा गया है कि बाघों के बढ़ते आतंक के कारण की लोग सुरक्षित स्थानों में जाना चाहते हैं .

प्रतिपक्ष संवाद से बात करते हुए अल्मोड़ा सल्ट निवासी मनोज कुमार ने कहा कि “वह पलायन को लेकर बहुत चिंतित हैं क्योंकि उनका पूरा गांव ही पलायन की चपेट में आ गया है गांव में केवल दो चार मकान ही बचे हैं उन्हें गांव में बंद पड़े मकान को देखकर दुख होता है इस क्षेत्र में पलायन का सबसे मुख्य कारण पानी की समस्या है क्योंकि यहां ना तो पीने के लिए पानी है जब पीने के लिए पानी नहीं है तो खेती के लिए कैसे ही हो पाएगा उन्हें बारिश पर निर्भर होना पड़ता है लेकिन बारिश की कमी के कारण भी उनकी खेती नहीं हो पाती इसलिए वहां के लोगों ने पलायन कर लिया है .

आप लोग बताइए आप पहाड़ों में हो रहे पलायन का सबसे बड़ा कारण किसे मानते हैं ।।

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