उत्तराखण्ड
हरिद्वार सीट से करन मेहरा के चुनाव लड़ने पर पूर्व सीएम हरिश रावत ने बोली ये बड़ी बात।
हरिश रावत नहीं चाहते के करन माहरा चुनाव लड़े?
2024 के इलेक्शन मानों सर पर है, बहुत जल्द चुनाव की तारीखें घोषित कर दी जायेंगी। उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीट पर भाजपा किन उम्मीदवारों को उतार रही है ये फाइनल हो गया है, हालांकि अभी भी हरिद्वार और गढ़वाल सीट पर किसे उतारा जाए इसको लेकर पार्टी के बीच गहरा मंथन चल रहा है। लेकिन इसी बीच कांग्रेस, हरिद्वार सीट से किसे उतरने वाली है इसे लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है, हरिद्वार सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा का नाम निकल कर सामने आ रहा है। सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी हरीद्वार सीट से करण महारा को चुनाव लड़वाने के समर्थन में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रबंधन को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने पिछले चुनाव से सबक लेते हुए प्रबंधन तंत्र को मजबूत किए जाने पर बल दिए जाने पर जोर दिया. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के चुनाव लड़ने की इच्छा जताने पर हरीश रावत ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष ने हरिद्वार लोकसभा से चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई है और यह अच्छी बात है. आगे हरीश रावत के मुंह से निकला कि अगर करन माहरा चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को चुनाव में प्रबंधन करना पड़ेगा. हरिश रावत के ऐसा बोलने के बाद कयास लगाए जाने लगे कि हरिश रावत नहीं चाहते कि करन महारा इस सीट से चुनाव लड़े। ख़ैर हरिश रावत ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा के चुनाव लड़ने से मुझे कोई दिक्कत नहीं है, जनता के बीच इस बात को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
हरीश रावत ने एक बार फिर पार्टी को आगाह किया है कि इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद कठिन और असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है. इसके लिए चुनाव प्रबंधन को मजबूत किए जाने की जरूरी है. सोशल मीडिया पर अपनी चिंता को साझा करते हुए उन्होंने फिर एक बार संगठन को पुरानी गलतियों को नहीं दोहराने की नसीहत दी है. हरीश रावत का कहना है कि इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि चुनाव प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है और प्रचारकों के साथ मीडिया मैनेजमेंट और दुष्प्रचार मैनेजमेंट की जरूरी है. क्योंकि 2022 में एक सफेद झूठ को भयंकर दुष्प्रचार का रूप देकर हम जीती बाजी हार गए. हमको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में लोकसभा चुनाव होने जा रहा हैं और इन 20 दिन के भीतर क्या एक उम्मीदवार सभी प्रबंधन संभालने की स्थिति में है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर बनाए गए कोऑर्डिनेटरों की नियुक्ति पर उनका कहना है एक झलक दिखाई तो दी, मगर इन नियुक्तियों से आगे का रोड मैप पूरी तरह से ओझल दिखाई दे रहा है. इसके बावजूद एक पक्षीय सोच के साथ प्रतिक्रिया आ रही है. उन्होंने कहा कि अभी देर नहीं हुई और मैं अपने अनुभव के आधार पर इस ज्ञान को सार्वजनिक किया है. ताकि भविष्य के लिए सनद रहेगी कि हरीश रावत ने सारी कड़वाहट और आलोचना झेलकर भी अपने कर्तव्य को निभाया.