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केजीएमयू में 15वां ISPRP राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य उद्घाटन

उत्तराखण्ड

केजीएमयू में 15वां ISPRP राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य उद्घाटन

लखनऊ, 12 जुलाई 2025: भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक्स-रिस्टोरेटिव-पेरिओडॉन्टिक्स सोसायटी (ISPRP) का 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ के कलाम सेंटर में भव्य रूप से आयोजित किया गया। यह सम्मेलन KGMU के प्रोस्थोडॉन्टिक्स, कंज़र्वेटिव एंड एंडोडॉन्टिक्स तथा पीरियोडॉन्टोलॉजी विभागों के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

सम्मेलन का उद्घाटन KGMU की कुलपति प्रो. (डॉ.) सोनिया नित्यानंद द्वारा किया गया। इस अवसर पर ISPRP अध्यक्ष डॉ. एस. महालक्ष्मी, प्रो. विभा सेठी, प्रो. गोपी चंदर, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. पूरन चंद, डॉ. नंदलाल, डॉ. प्रोमिला वर्मा , डा बालेंद्र प्रताप सिंह तथा देशभर से आए प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो. नित्यानंद ने दंत चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं के विशेषज्ञों के मध्य सहयोग को आवश्यक बताते हुए कहा कि इस प्रकार का इण्टर डिसप्लीनरी कांफ्रेंस न केवल क्लिनिकल उन्नति, बल्कि अनुसंधान में नवाचार के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बेसिक साइंस के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एकीकृत शोध कार्य करने पर बल दिया।

सम्मेलन के तहत प्रारंभिक दिवस पर आयोजित प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशालाओं में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया। डॉ. गौरव गुप्ता और डॉ. ध्रुव अरोड़ा ने प्रॉस्थेटिक क्राउन और इम्प्लांट्स में डिजिटल तकनीकों और कृत्रिम बउद्धिमता (ए आई)की भूमिका को रेखांकित किया। एम्स के डॉ. विकेंद्र यादव ने इम्प्लांट्स और प्राकृतिक दांतों और मसूड़ा के मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन किया। डॉ. रश्मि हेगड़े ने लेज़र के क्लिनिकल अनुप्रयोगों पर कार्यशाला दी, वहीं डॉ. अगम भटनागर ने रोटरी एंडोडॉन्टिक्स में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जिससे रूट कैनाल ट्रीटमेंट अधिक प्रभावी बन सके।

दिन की मुख्य विशेषताओं में प्रमुख की- नोट व्याख्यान शामिल थे। डॉ. हिमांशु ऐरन, कुलपति, रस बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय, देहरादून ने ओरल इम्प्लांटोलॉजी में सटीकता और अपेक्षित परिणामों पर अपने विचार रखे। एम्स, नई दिल्ली के कंज़र्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडॉन्टिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. अजय लुगानी ने क्राउन-रूट फ्रैक्चर दांतों के रिस्टोरेटिव प्रबंधन की नवीनतम तकनीकों पर व्याख्यान दिया।

नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज, नेपाल से डॉ. रीमा प्रधान ने एंडोडॉन्टिकली ट्रीटेड दांतों के वैश्विक प्रबंधन दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. विवेक गुप्ता ने ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी के डायग्नोस्टिक उपयोग पर व्याख्यान दिया। डॉ. पंकज धवन ने इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में लो-लेवल लेज़र थैरेपी और पाईजो-सर्जरी की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. वरुण कुमार ने इंट्रा-ओरल इम्प्लांट इंप्रेशन तकनीकों का प्रदर्शन किया। वहीं, डॉ. अगम भटनागर ने “इम्प्लांट-प्रेरित दुनिया में प्राकृतिक दांतों को बचाने” पर प्रेरणादायक सत्र लिया।

एक प्रमुख सत्र के रूप में पैनल चर्चा “दांत को बचाएं या निकालें: कब और कैसे?” का आयोजन हुआ, जिसका संचालन डॉ. सुप्रतीम त्रिपाठी ने किया। इसमें डॉ. सोनाली तनेजा (ITS गाज़ियाबाद), डॉ. एच.सी. बरनवाल (बीएचयू), डॉ. नीता पसरीचा (प्राचार्य, बीबीडी डेंटल कॉलेज, लखनऊ), डॉ. मरियम अली (कैरियर डेंटल कॉलेज), डॉ. पी.एल. रविशंकर (SRM, चेन्नई) और डॉ. उमेश प्रताप वर्मा (KGMU) जैसे ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ शामिल रहे। यह सत्र चिकित्सकीय निर्णयों की जटिलताओं पर केंद्रित रहा और इसे प्रतिभागियों से व्यापक सराहना प्राप्त हुई।

सम्मेलन में देशभर के लगभग 400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न दंत संस्थानों के छात्र, शिक्षक एवं निजी प्रैक्टिशनर शामिल थे। नेपाल से भी कई प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

दिन का समापन लगभग 200 शोध-पत्र और पोस्टर प्रस्तुतियों के साथ हुआ, जिनमें उभरते विशेषज्ञों और छात्रों ने अपनी शैक्षणिक और क्लिनिकल क्षमताओं का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन, प्रो. डॉ. ए.पी. टिक्कू, प्रो. डॉ. वाधवानी,प्रो. एम.ए. खान और प्रो. रणजीत पाटिल (डीन, डेंटल साइंसेज़, लखनऊ) जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने सम्मेलन में प्रस्तुत अकादमिक उत्कृष्टता और रिसर्च की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कॉन्फ्रेंस में कल भी कई शोध पत्र पढ़ा जाएगा और उत्कृष्ट
प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा ।

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