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गुरु पूर्णिमा पर्व 2025

धर्म-संस्कृति

गुरु पूर्णिमा पर्व 2025


अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जै


गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो गुरुर्नारायणः।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुविष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः॥

गुरु पूर्णिमा को आषाढ पूर्णिमा भी कहा जाता है। पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे। शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। महर्षि वेद व्यास का नाम वेद व्यास क्यों पड़ा इसके पीछे धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है माना जाता है कि महर्षि व्यास ने ही वेदों को अलग-अलग खण्डों में विभाजित कर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। जिसके कारण उन्हें वेद व्यास कहा जाने लगा
भारत भूमि देवताओं की भूमि है हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। गुरु द्वारा हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित किया जाता है। गुरू द्वारा हमें जीवन के मूलभूत सिद्धातों से परिचित कराया जाता है। गुरु की महत्ता को समझते हुए गुरु के सम्मान में प्रति वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर शुभ योग
वर्ष 2025 में गुरु पूर्णिमा पर्व पर,एंद्र योग, वैधृति योग, मिथुन राशि में सूर्य तथा गुरु की युति से गुरु आदित्य योग का निर्माण हो रहा है जो की अत्यंत ही शुभ योग है।
मुहुर्त
गुरू पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 9/10 जुलाई 2025 रात्रि/प्रातः 01:39 से 10/11 जुलाई 2025 रात्रि/प्रातः 02:08 तक।
पूजा विधि
पूर्णिमा के पर्व पर सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर में मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें। व्रत का संकल्प लें, मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु और भोलेनाथ को स्नानादि कराकर आसन प्रदान करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। अपने गुरु का ध्यान करें। अगर संभव हो तो गुरु के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
और गुरु जी को श्रद्धा पूर्वक अन्न, वस्त्र, मिष्ठान, फूल माला, दक्षिणा सामर्थ्य के अनुसार भेंट करे। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सर्वप्रथम गुरु हमारी मां होती है मां का सम्मान करें मां को भी भेंट इत्यादि देकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर सफेद वस्तुओं का दान अवश्य करें। खीर को प्रसाद रूप में वितरित करने से विशेष लाभ प्राप्त होंगे।
(जिन भी जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो और पूर्णिमा का उपवास प्रारंभ करना चाहते हों गुरु पूर्णिमा पर्व से उपवास प्रारंभ कर सकते हैं)
डॉ मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य
8395806256

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